2 अप्रैल को अमेरिका राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 34% टैरिफ लगाकर चैना समेत कई देशों को झटका दिया। जवाब में चैना ने भी 34% शुल्क लगा दिया। ट्रंप ने आगे चेतावनी दी कि यदि चीन पीछे नहीं हटा तो शुल्क 50% तक बढ़ाया जा सकता है। इस धमकी ने वैश्विक शेयर बाजारों में बड़ी गिरावट ला दी।
चैना का तीखा पलटवार
अमेरिका-चैना के वाणिज्य मंत्रालय ने 8 अप्रैल को स्पष्ट कर दिया कि वह अमेरिका के शुल्क के विरुद्ध “अंत तक लड़ेगा”। बीजिंग ने अमेरिका की रणनीति को ‘ब्लैकमेलिंग’ बताया और कहा कि वे अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा करेंगे।
भारत ने अपनाया संतुलन का रास्ता
भारत ने चैना की तरह पलटवार नहीं किया। इंडिया का मानना है कि बातचीत र्और समझौते के ज़रिये समाधान निकाला जा सकता है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर और अमेरिका विदेश मंत्री मार्को रुबियो के बीच इस मुद्दे पर चर्चा हुई और जल्द कारोबार समझौता पूरा करने की सहमति बनी।

इंडिया की रणनीति अन्य देशों से भिन्न
जहां एक ओर चैना और कनाडा जैसे देश जवाबी शुल्क की नीति पर चल रहे हैं, वहीं भारत ने अलग स्टैंड लिया है। इंडिया अमेरिका के शुल्क पर न तो पलटवार कर रहा है और न ही अपने टैरिफ कम कर रहा है, बल्कि “विन-विन” सॉल्यूशन की खोज में है।
इंडिया की नीति वैश्विक व्यापार को दिशा दे सकती है
अमेरिका और चैना के बीच बढ़ते कारोबार युद्ध के इस दौर में इंडिया की शांत, परिपक्व और कूटनीतिक रणनीति भविष्य के लिए मिसाल बन सकती है। न केवल यह वैश्विक अर्थव्यवस्था को स्थिर करने में सहायता करेगी, बल्कि इंडिया के दीर्घकालिक हितों को भी सुरक्षित रखेगी।