उस्मानिया यूनिवर्सिटी ने कैम्पस में सभी प्रकार के प्रदर्शन पर रोक लगा दी है। बता दें कि हाल ही में यूनिवर्सिटी के एक हॉस्टल के खाने में छात्रों को ब्लेड मिली थी। इस घटना के बाद से छात्र लगातार प्रदर्शन कर रहे थे।
हैदराबाद: तेलंगाना के उस्मानिया विश्वविद्यालय के गोदावरी छात्रावास में हाल ही में छात्रों को भोजन में ब्लेड मिला था। इस घटना के बाद से छात्र लगातार प्रदर्शन कर रहे थे। छात्रों का आरोप है कि कोई प्रतिक्रिया न मिलने के कारण उन्हें सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर होना पड़ा। उन्होंने कुलपति और चीफ वार्डन सहित विश्वविद्यालय के अधिकारियों से जवाबदेही की मांग की। 11 मार्च की रात को हुई इस घटना के बाद छात्रों ने धरना दिया था। वहीं अब विश्वविद्यालय की ओर से एडवाइजरी जारी की गई है। उस्मानिया यूनिवर्सिटी ने कैम्पस में किसी तरह के धरने पर पाबंदी लगा दी है।
बीआरएस नेता ने साधा निशाना
वहीं अब इस मामले में कुछ राजनीतिक पार्टियों के नेता भी कूद पड़े हैं, जो पहले उस्मानिया विश्वविद्यालय के छात्र भी रह चुके हैं। बीआरएस नेता कृष्णक ने कहा, “तेलंगाना में कांग्रेस लोकतांत्रिक सरकार होने का दावा करती है, उनके नेता राहुल गांधी पूरे भारत में लाल संविधान लेकर घूमते हैं, लेकिन आश्चर्यजनक रूप से उस्मानिया विश्वविद्यालय परिसर जो तेलंगाना आंदोलन के लिए विरोध का केंद्र रहा है, जिसने राज्य का दर्जा भी दिलाया, कांग्रेस सरकार ने उसमें लोकतांत्रिक विरोध पर प्रतिबंध लगा दिया है। कांग्रेस सरकार इतनी असहिष्णु है कि वे आलोचना भी नहीं सुन सकते।”
बता दें कि उस्मानिया विश्वविद्यालय (OU) के हॉस्टल में परोसे गए भोजन में रेजर ब्लेड मिला था। इसके बाद छात्रों के एक समूह ने विरोध प्रदर्शन किया। इसके बाद विश्वविद्यालय के प्राधिकारियों ने इस मामले की जांच के लिए एक समिति गठित की।
एबीवीपी ने भी लगाए आरोप
वहीं खाने में ब्लेड मिलने के बाद छात्रावास के छात्र मंगलवार रात को परिसर में एकत्र हुए और उन्होंने न्याय की मांग की। उन्होंने मांग की कि ओयू के कुलपति इस मुद्दे पर उनकी चिंताओं का समाधान करें। छात्रों ने कहा कि छात्रावास के भोजनालय में रात में परोसे गए भोजन में ‘रेजर ब्लेड’ पाया गया था।
ओयू के एक अधिकारी ने बताया था कि घटना की जांच के लिए एक समिति गठित की गई है। वहीं एबीवीपी के एक नेता ने आरोप लगाया कि छात्रों को परोसे गए भोजन में कीड़े, टूटी चूड़ियों के टुकड़े और धागे मिल चुके हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि बार-बार शिकायत करने के बावजूद विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है।