भारत के 10 राष्ट्रपतियों ने ली है शपथ
नई दिल्ली: भारत के इतिहास में 25 जुलाई (25th July) का दिन बेहद खास है। इस खास तारीख को देश के 10 राष्ट्रपतियों ने शपथ (Oath) ली है। बता दें कि भारत के पहले राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद ने 26 जनवरी 1950 को शपथ ली थी। हालांकि चुनाव के जरिए चुने जाने के बाद उन्होंने पहली शपथ 13 मई 1952 को ली थी। इसके बाद 13 मई को 3 और राष्ट्रपतियों ने भी पद एवं गोपनीयता की शपथ ली थी। डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने 13 मई 1962 को, जाकिर हुसैन ने 13 मई 1967 को और वी.वी. गिरी ने 13 मई 1969 को राष्ट्रपति पद की शपथ ली थी।
कार्यकाल के दौरान हुआ है 2 राष्ट्रपतियों का निधन
वीवी गिरी और जस्टिस मोहम्मद हिदायतुल्लाह ने कार्यवाहक राष्ट्रपतियों के रूप में क्रमश: 3 मई 1969 और 20 जुलाई 25th July 1969 को पद एवं गोपनीयता की शपथ ली थी। इसके बाद 24 अगस्त को 2 राष्ट्रपतियों ने शपथ ली थी जिनमें 1969 में शपथ लेने वाले वीवी गिरी और 1974 में शपथ लेने वाले फखरुद्दीन अली अहमद शामिल हैं। बता दें कि जाकिर हुसैन और फखरुद्दीन अली अहमद दो ऐसे राष्ट्रपति हैं जिनका देहांत कार्यकाल के दौरान ही हो गया था। जाकिर हुसैन के निधन के बाद जहां वीवी गिरी और हिदायतुल्ला कार्यवाहक राष्ट्रपति बने थे वहीं फखरुद्दीन अली अहमद के निधन के बाद बीडी जत्ती ने यह जिम्मेदारी निभाई थी।
नीलम संजीव रेड्डी से शुरू हुआ था यह सिलसिला
लेकिन इन सभी तारीखों में 25 जुलाई 25th July की तारीख सबसे खास है, क्योंकि इस दिन कुल 10 राष्ट्रपति पद एवं गोपनीयता की शपथ ले चुके हैं। 25 जुलाई को शपथ लेने का सिलसिला साल 1977 में शुरू हुआ जब नीलम संजीव रेड्डी ने भारत के छठे राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली। इसके बाद से अब तक जितने भी राष्ट्रपति हुए हैं, सबने 25 जुलाई को ही शपथ ली। 1982 में ज्ञानी जैल सिंह, 1987 में रामास्वामी वेंकटरमण, 1992 में शंकर दयाल शर्मा, 1997 में के.आर. नारायणन, 2002 में डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम, 2007 में प्रतिभा पाटिल, 2012 में प्रणब मुखर्जी, 2017 में रामनाथ कोविंद और 2022 में द्रौपदी मुर्मू ने भी 25 जुलाई को ही शपथ ग्रहण किया।
अनुच्छेद 60, भारत का संविधान 1950
भा., ईश्वर की शपथ लेता हूँ कि मैं भारत के राष्ट्रपति के पद का निष्ठापूर्वक पालन करूँगा (या राष्ट्रपति के कृत्यों का निर्वहन करूँगा) तथा अपनी पूरी क्षमता से संविधान और विधि का परिरक्षण, संरक्षण और प्रतिरक्षण करूँगा तथा मैं भारत की जनता की सेवा और कल्याण के लिए स्वयं को समर्पित करूँगा।”
शपथ ग्रहण में क्या बोला जाता है?
मैं, (नाम), सत्यनिष्ठा से शपथ लेता/लेती हूँ (या प्रतिज्ञान करता/करती हूँ) कि मैं प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से किसी भी व्यक्ति को कोई भी ऐसा मामला नहीं बताऊँगा या प्रकट नहीं करूँगा/करूँगी जो मेरे विचाराधीन लाया जाएगा या प्रधान मंत्री (या, जैसा भी मामला हो, मंत्री, राज्य मंत्री या उप मंत्री) के रूप में मुझे ज्ञात होगा,