22 सितंबर 2025 से देश में जीएसटी (GST) की नई दरें लागू हो गई हैं। केंद्र सरकार ने आम जनता को राहत देते हुए दूध, पनीर, मक्खन, तेल और शैम्पू जैसी रोज़मर्रा की ज़रूरी चीज़ों को कम टैक्स स्लैब (Tax Slab) में डाल दिया है, जिससे उनके दाम घटने की उम्मीद है। लेकिन दूसरी ओर, उन वस्तुओं और सेवाओं पर भारी कर लगाया गया है जिन्हें सरकार ‘सिन गुड्स’ की श्रेणी में रखती है। इन पर अब सीधे 40% जीएसटी लागू होगा।
क्या हैं ‘सिन गुड्स’?
सरकार के मुताबिक, ‘सिन गुड्स’ वे प्रोडक्ट्स हैं जो या तो सेहत के लिए नुकसानदेह होते हैं या फिर अत्यधिक विलासिता (लक्ज़री) की श्रेणी में आते हैं। इन पर ज्यादा टैक्स लगाने के पीछे दो वजहें मानी जाती हैं—
- लोगों को इनके अत्यधिक सेवन से रोकना।
- सरकार के लिए अतिरिक्त राजस्व जुटाना।
किन चीज़ों पर बढ़ा टैक्स?
- तंबाकू उत्पाद: पान मसाला, गुटखा, चबाने वाली तंबाकू, कच्चा तंबाकू, सिगरेट और सिगार अब महंगे हो जाएंगे।
- कोल्ड ड्रिंक्स: शक्कर और कैफीन से युक्त ड्रिंक्स, कार्बोनेटेड पेय भी 40% जीएसटी के दायरे में आ गए हैं।
- लक्ज़री गाड़ियाँ और बाइक्स: 1200 सीसी से ऊपर की पेट्रोल कारें, 1500 सीसी से ऊपर की डीजल कारें और 350 सीसी से बड़ी बाइक्स अब और महंगी होंगी।
- अन्य लक्ज़री सामान: निजी यॉट, प्राइवेट जेट और हेलिकॉप्टर जैसे आइटम्स पर भी यह टैक्स लागू है।
- मनोरंजन: आईपीएल मैच के टिकट पर भी अब 40% जीएसटी देना होगा, जिससे खेल प्रेमियों की जेब पर बोझ बढ़ेगा।
- कोयला और लिग्नाइट: इन प्राकृतिक संसाधनों पर भी बढ़ा हुआ टैक्स लगाया गया है।
उपभोक्ताओं पर असर
इस फैसले का सीधा असर उपभोक्ताओं की जेब पर पड़ेगा। तंबाकू उत्पादों और कोल्ड ड्रिंक्स के शौकीन लोगों को अब हर बार खरीदारी करते वक्त ज्यादा खर्च करना पड़ेगा। लक्ज़री गाड़ियाँ और यॉट जैसी चीज़ें वैसे भी सीमित वर्ग के लिए होती हैं, लेकिन उन पर टैक्स बढ़ने से उनका बाजार और संकुचित हो सकता है। वहीं, मनोरंजन क्षेत्र में आईपीएल टिकट महंगे होने से दर्शकों की संख्या पर भी असर पड़ सकता है।
सरकार की मंशा
विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार ने एक तरफ आम आदमी को राहत देने की कोशिश की है, वहीं ‘सिन गुड्स’ को महंगा बनाकर स्वास्थ्य और जीवनशैली से जुड़ी बुरी आदतों को नियंत्रित करने का प्रयास किया है। यह कदम न सिर्फ राजस्व बढ़ाने में मदद करेगा बल्कि स्वास्थ्य खर्चों पर भी परोक्ष रूप से नियंत्रण ला सकता है।
कुल मिलाकर, नई टैक्स दरें सरकार के ‘दोहरी रणनीति’ को दर्शाती हैं—आवश्यक वस्तुएं सस्ती, और हानिकारक या विलासिता की चीजें महंगी। आने वाले समय में इसका असर सीधे बाजार और उपभोक्ता व्यवहार पर दिखेगा।
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