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23 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर में हुए आतंकी हमले के बाद पडोसी देश पाकिस्तान में खौफ है। अब उन्हे ऐसे लग रहा है कि भारत उनके खिलाफ सख्त कदम उठा सकता है।
यहां तक कि वहांके राजनेता बार-बार यह कहते हुए बयान दे रहे हैं कि अगर भारत आक्रमण करता है तो वह इसका डटकर मुकाबला करेगा। हालांकि उन्हे इस बात का इल्म है कि अगर भारत पूरे ताकत से आक्रमण करता है तो वह ज्यादा समय तक टिक नही पाएगा। शायद इसी कारण वह बार-बार दोहरा रहा है कि आतंकी हमले से उसका कोई लेना-देना नही है। भारत ने भी अभी तक उस परऐसा कोई आरोप नही लगाया हैऔऱ ना ही सैन्य कार्रवाई करने की धमकी दी है. इसके बावजूद पाकिस्तान में डर का माहौल है।
पाकिस्तान की प्रतिक्रिया:
पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. आरिफ अल्वी ने इस हमले की निंदा की और कहा कि आतंकवाद से लड़ना पूरी दुनिया की जिम्मेदारी है।उन्होंने पाकिस्तान को खुद आतंकवाद का शिकार बताया और भारत को चेतावनी दी कि अगर पाकिस्तान को गलत तरीके से इस हमले में फंसाया गया, तो पाकिस्तान एकजुट होकर जवाब देगा।
अनोखी बात:
भारत की ओर से अभी तक पाकिस्तान पर कोई सीधा आरोप नहीं लगाया गया है, फिर भी पाकिस्तान के नेता पहले ही सफाई देने लगे हैं।
दूसरे पाकिस्तानी नेताओं का बयान:

रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने कहा कि हमारा इस हमले से कोई लेना-देना नहीं है, यह हमला स्थानीय लोगों द्वारा किया गया “विद्रोह” हो सकता है।
लेकिन सच्चाई क्या है?
एक आतंकी संगठन द रेसिस्टेंस फ्रंट (जो लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा है) ने इस हमले की ज़िम्मेदारी ली है।
इस संगठन के नेता और कुछ हमलावर पाकिस्तान से जुड़े बताए जा रहे हैं।
भारतीय प्रतिक्रिया:

भारतीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत हमले के पीछे बैठे लोगों को भी पकड़कर सज़ा देगा।
भारतीय खुफिया एजेंसियों को लगता है कि पाक सेना प्रमुख का हालिया भड़काऊ भाषण (जिसमें उन्होंने कश्मीर को पाकिस्तान की “शिरा” कहा) इस हमले से जुड़ा हो सकता है।