Mahabharata : महर्षि वेद व्यास ने पांडु, धृतराष्ट्र और विदुर को पैदा किया

महर्षि वेद

क्या और भी था उनका कोई बेटा

ये तो हम सभी को मालूम है कि पांडवों और कौरवों के पिता पांडु और धृतराष्ट्र का जन्म नियोग के जरिए हुआ था. उस नाते महर्षि व्यास भी उनके पिता थे, उसी क्रम में विदुर भी व्यास के जरिए ही पैदा हुए थे. क्या आपको मालूम है कि इनके अलावा भी व्यास का कोई पुत्र था. वो कैसे पैदा हुआ. पैदा होने के बाद वो क्या बना. उसका जन्म भी कुछ असामान्य क्यों था।

महर्षि वेद व्यास खुद पाराशर और सत्यवती से पैदा हुए थे. वेद व्यास को ऋषि पाराशर ने पाला. वह खुद महर्षि बन गए. इसके बाद सत्यवती की शादी राजा शांतुन से हुई, जिनके दो पुत्र थे विचित्रवीर्य और चित्रांगद. चित्रांगद का निधन युवावय में हो गया. फिर विचित्रवीर्य का विवाह अंबिका और अंबालिका से हुआ. लेकिन विवाह के बाद विचित्रवीर्य का भी निधन हो गया।

नियोग के लिए व्यास को बुलाया गया

वह इन तीनों के जैविक पिता थे
इससे पांडु और धृतराष्ट्र का जन्म हुआ. लेकिन जब अंबालिका को दोबारा वेद व्यास के पास जाना था तो उसने डर के मारे दासी को उनके पास भेज दिया, जिससे विदुर पैदा हुए. इस तरह व्यास इन तीनों के जैविक पिता थे।

व्यास की शादी वाटिका से हुई थी

व्यास के किस तरह हुआ एक और पुत्र
वाटिका ऋषि जाबालि की पुत्री थीं. वह खुद भी आध्यात्मिक तौर पर बहुत प्रखर और उन्नत महिला थीं. ग्रंथों में कहा गया है कि शुकदेव अयोनिज पुत्र थे. वह 12 वर्ष तक माता के गर्भ में रहे. कथा के अनुसार, भगवान शिव पार्वती को अमर कथा सुना रहे थे, तभी एक तोता (शुक) ने हुंकारी भरी. शिव ने उस तोते को मारने के लिए त्रिशूल छोड़ा. तब जान बचाकर भागा वह शुक वेदव्यास की पत्नी के गर्भ में प्रवेश कर गया. 12 वर्ष तक वह वहीं रहा. फिर भगवान कृष्ण के आश्वासन पर जन्मा. जन्म लेते ही शुकदेव बाल्यावस्था में ही तपस्या के लिए वन चले गए।

शुक कैसे बड़े ऋषि थे
शुक खुद प्रबुद्ध ऋषि थे. उन्हें वेद व्यास का सच्चा आध्यात्मिक उत्तराधिकारी माना जाता है. वे महाभारत में युवा कुरु राजकुमारों के एक बुद्धिमान मार्गदर्शक के रूप में भी बताए गए हैं।

कौरव और पांडव दोनों सम्मान करते थे
महर्षि वेद व्यास के पुत्र शुक (शुकदेव) एक अत्यंत प्रबुद्ध ऋषि थे, जो अपने गहन आध्यात्मिक ज्ञान और सांसारिक मामलों से विरक्ति के लिए जाने जाते थे. उनका कौरव और पांडव दोनों बहुत सम्मान करते थे।

उन्हें भागवत पुराण के मुख्य वक्ता के रूप में जाना जाता है. बताया जाता है कि गर्भ में ही उन्हें ब्रह्मज्ञान प्राप्त हो गया था. इसी वजह से वह जन्म लेते ही वे सांसारिक मोह से मुक्त होकर वन की ओर चले गए. शुकदेव ने महाराज परीक्षित (अभिमन्यु के पुत्र) को मृत्यु से पहले 7 दिनों में भागवत पुराण का उपदेश दिया, जिससे परीक्षित को मोक्ष प्राप्त हुआ।

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