पूर्व राष्ट्रपति वेकय्या नायुडू ने ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ का समर्थन करते हुए कहा कि बार-बार चुनाव कराने से देश को 4.7 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है। एक राष्ट्र एक चुनाव का समर्थन करते हुए उन्होनेकहा कि एक साथ चुनाव कराने पर जीडीपी का लगभग 1.5 प्रतिशत की बचत होगी। नायडू ने बताया कि लोकसभा चुनावों की लागत 2019 में 55,000 करोड़ रुपये से बढ़कर 2024 में 1.35 लाख करोड़ रुपये हो गई है।
संसाधनोों का होता है दुरुपयोग
“बार-बार चुनाव कराने से संसाधनों का दुरुपयोग होने के साथ-साथ अर्थव्यवस्था पर बोझ पड़ता है। यदि एक साथ चुनाव कराये जाते हैं तो एक सुव्यवस्थित चुनावी प्रणाली शासन को मजबूत करेगी और आर्थिक विकास को बढ़ावा देगी।”
कई राजनीतिक दल कर रहें हैं इसका विरोध
लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराये जाने के मसले पर लंबे समय से बहस चल रही है। प्रधानमंत्री मोदी ने भी इस विचार का समर्थन कर इसे आगे बढ़ाया है। इस मसले पर चुनाव आयोग, नीति आयोग, विधि आयोग और संविधान समीक्षा आयोग विचार कर चुके हैं। विधि आयोग ने देश में एक साथ चुनाव कराये जाने के मुद्दे पर विभिन्न राजनीतिक दलों, क्षेत्रीय पार्टियों और प्रशासनिक अधिकारियों की राय जानने के लिये बैठक का आयोजन किया था। कुछ राजनीतिक दलों ने इस विचार से सहमति जताई, जबकि ज्यादातर राजनीतिक दलों ने इसका विरोध किया। उनका कहना है कि यह विचार लोकतांत्रिक प्रक्रिया के खिलाफ है। जाहिर है कि जब तक इस विचार पर आम राय नहीं बनती तब तक इसे धरातल पर उतारना संभव नहीं होगा।