500 वर्षों से अधिक पुरानी परंपरा
लैराई देवी मंदिर गोवा के बिचोलिम तालुका के शिरगांव गांव में स्थित है और यह मंदिर लगभग 500 साल पुराना माना जाता है। यह स्थान देवी लैराई (Durga के रूप मानी जाती हैं) की पूजा के लिए प्रसिद्ध है और हर साल यहां एक अद्वितीय धार्मिक आयोजन होता है जिसे शिरगांव जात्रा कहा जाता है।
शिरगांव जात्रा: आस्था की अग्निपरीक्षा
अग्नि पर चलना – ‘होमकुंड परिक्रमा’
इस जात्रा की सबसे अनोखी विशेषता है जब भक्त रात के अंधेरे में जलते हुए अंगारों (कोयलों) पर चलते हैं। इसे ‘होमकुंड परिक्रमा’ कहा जाता है। यह आग पर चलने की परंपरा भक्तों के अटूट विश्वास और तपस्या का प्रतीक है।
भक्त इस अग्निपरीक्षा से पहले कई दिनों का उपवास, संयम और मानसिक साधना करते हैं। वे शुद्ध और सादगीपूर्ण जीवन जीते हैं ताकि वे इस अग्नि पर चलने के लिए तैयार हो सकें।
गोवा के शिरगांव में प्रसिद्ध लैराई देवी मंदिर में भगदड़ मचने से 5 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई और 30 से अधिक लोग घायल हो गए. यह मंदिर उत्तरी और दक्षिणी स्थापत्य शैली के मिश्रण के लिए जाना जाता है, यहां हर साल मई में शिरगाओ जात्रा का आयोजन किया जाता है.
इस त्योहार में आग पर चलने का पारंपरिक अनुष्ठान होता है, जिसमें हजारों भक्त आते हैं. लैराई देवी मंदिर में हर साल आयोजित होने वाला यह उत्सव एक प्रमुख क्षेत्रीय हिंदू उत्सव है. इस आयोजन को गोवा का सबसे प्रसिद्ध धार्मिक आयोजनों में से एक माना जाता है और यह हर साल अप्रैल से लेकर मई के बीच में आयोजित किया जाता है. आइए जानते हैं इस मंदिर और शिरगाओ जात्रा के बारे में खास बातें…
लैराई मंदिर का महत्व :
लैराई मंदिर गोवा का बहुत ही पुराना और प्रसिद्ध सिद्ध स्थान माना जाता है. इस मंदिर में माता के स्वरूप की पूजा होती है. इस मंदिर के निर्माण में उत्तरी और दक्षिणी मंदिर की वास्तुकला शैली का मिश्रण है. स्थान या मान्यता के अनुसार लैराई देवी और मिलाग्रेस सायबिन को बहन माना जाता है. इन्हें इलाके में सांप्रदायिक सौहार्द का प्रतिनिधि माना जाता है. यह मंदिर गोवा का प्रसिद्ध मंदिर है. इस मंदिर में अग्नि पर चलने वाली रस्म सदियों पुरानी बताई जाती है जिसमें लोग नंगे पांव जलते कोयलों पर चलते हैं.
कब होता है उत्सव : लैराई माता में हर वर्ष में माह के पहले हफ्ते में शिरगांव में यह उत्सव आयोजित करते हैं. जिसमें माता के भक्ति एक बड़े अंगारों के ढेर पर चलते हैं. उत्सव को देखने के लिए दूर-दूर से पर्यटक और भक्त आते हैं. हर वर्ष यहां सांस्कृतिक और धार्मिक आयोजन किये जाते हैं. अग्नि पर चलते समय लोग हर हर महादेव और श्री लैराई माता की जय की नारे लगाते हैं.
कैसे मनाते हैं यह उत्सव : इस आयोजन में उस गांव के लोग एक दिन पहले किसी बरगद के वृक्ष के पास लड़कियों का ऊंचा ढेर लगाते हैं. दूसरे दिन अनुष्ठान के पश्चात वहां झील में पवित्र डुबकी लगाने के पश्चात देवी की विधि विधान से पूजा करते हैं. उस लकड़ी के ढेर पर जलते हुए अंगारों की पांच बार परिक्रमा करते हैं.
अनोखा धार्मिक पर्यटन स्थल
लैराई देवी मंदिर और शिरगांव जात्रा का अनुभव केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं बल्कि आध्यात्मिक और सांस्कृतिक यात्रा भी है। पर्यटक इस मंदिर में दर्शन के साथ-साथ गोवा की ग्रामीण संस्कृति को भी नज़दीक से देख सकते हैं।
लैराई देवी का यह मंदिर और उसकी जात्रा भारत की जीवित परंपराओं और आस्था का जीवंत प्रमाण है। दहकते अंगारों पर नंगे पांव चलना न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक शक्ति और श्रद्धा का प्रतीक है।