बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग पर प्रतिबंध लगा दिया है। यह कार्रवाई आतंकवाद विरोधी कानून के तहत की गई है।
बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की पार्टी को खिलाफ अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद युनुस ने बड़ी कार्रवाई की है। शेख हसीना की पार्टी आवामी लीग को बांग्लादेश में बैन कर दिया गया है। यह कार्रवाई आतंकवाद विरोधी कानून के तहत की गई है। चलिए ऐसे में आपको आवामी लीग के बारे में बताते हैं।
1949 में हुई स्थापना
- बांग्लादेश आवामी लीग की स्थापना 23 जून 1949 को की गई थी।
- इसकी स्थापना ‘पूर्वी पाकिस्तान आवामी मुस्लिम लीग’ नाम से ढाका (तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान) में हुई थी।
- बाद में पार्टी ने ‘मुस्लिम’ शब्द को हटाकर इसे एक धर्मनिरपेक्ष पार्टी बना दिया और नाम रखा गया ‘आवामी लीग’।
- इस पार्टी की स्थापना के प्रमुख नेताओं में मौलाना अब्दुल हमीद खान भाशानी, शमसुल हक और हुसैन शहीद सुहरावर्दी शामिल थे।
बंगाली लोगों के अधिकारों दी प्राथमिकता
आवामी लीग ने शुरू से ही बंगाली लोगों के अधिकारों और स्वशासन की मांग को प्राथमिकता दी। पार्टी की विचारधारा लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता, राष्ट्रवाद और सामाजिक न्याय पर आधारित है।
पार्टी को कब मिली पहचान
पार्टी को बड़ी पहचान तब मिली जब शेख मुजीबुर रहमान इसका नेतृत्व करने लगे। उन्हें “बंगबंधु” (बंगाल का मित्र) कहा जाता है। उन्होंने 1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में नेतृत्व करते हुए पाकिस्तान से स्वतंत्रता की दिशा में ऐतिहासिक भूमिका निभाई थी।
1971 का स्वतंत्रता संग्राम
- आवामी लीग ने 1970 के आम चुनावों में पाकिस्तान के पूर्वी हिस्से में भारी बहुमत से जीत हासिल की थी।
- लेकिन, पश्चिमी पाकिस्तान की सत्ता ने इसे मान्यता नहीं दी।
- इसके विरोध में आवामी लीग ने आंदोलन शुरू किया, जिसका अंत बांग्लादेश बनने के साथ हुआ।
स्वतंत्रता के बाद की भूमिका
1971 में पश्चिमी पाकिस्तान से अलग होने के बाद नया देश बांग्लादेश बना। शेख मुजीब बांग्लादेश के पहले प्रधानमंत्री बने। हालांकि, 1975 में एक सैन्य तख्तापलट में उनकी हत्या कर दी गई। इसके बाद कई वर्षों तक पार्टी सत्ता से बाहर रही।
आज आवामी लीग की प्रमुख हैं शेख हसीना, जो शेख मुजीब की बेटी हैं। हसीना कई बार बांग्लादेश की प्रधानमंत्री रह चुकी हैं (1996–2001, 2009 से अब तक)। उनके नेतृत्व में पार्टी ने बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था, शिक्षा और बुनियादी ढांचे में कई सुधार किए हैं। हाल के वर्षों में पार्टी पर लोकतंत्र को कमजोर करने, विरोधी दलों को दबाने और सत्ता के केंद्रीकरण जैसे आरोप लगे हैं।
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