उत्तराखंड में एक पंजीकृत वक्फ संपत्ति के विध्वंस के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अवमानना याचिका पर सुनवाई की और उत्तराखंड सरकार को नोटिस जारी किया।
वक्फ संशोधित कानून से जुड़े एक मामले में मंगलवार को सुनवाई हुई। इस दौरान शीर्ष अदालत ने उत्तराखंड सरकार समेत अन्य पक्षकारों को नोटिस जारी किया। जस्टिस बीआर गवई और एजी मसीह की बेंच ने नोटिस भेजा है। कोर्ट में अर्जी दाखिल करते हुए 17 अप्रैल को एसजी तुषार मेहता की ओर से दिए गए आश्वासन का उल्लंघन का आरोप लगाया गया। अर्जी में कहा गया है कि एसजी के आश्वासन के बावजूद पंजीकृत वक्फ संपत्ति को विध्वंस किया गया।
दरअसल, वक्फ मामले में सरकार के आश्वासन के उल्लंघन के खिलाफ उत्तराखंड के महफूज अहमद ने सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दायर की है। देहरादून के निवासी यचिकाकर्ता का दावा है कि राज्य प्रशासन ने बिना किसी नोटिस के दरगाह को ढहा दिया, जबकि सरकार सुप्रीम कोर्ट में वक्फ संशोधित कानून को लागू नहीं करने का आश्वासन दिया था।
सुप्रीम कोर्ट में यह अवमानना मामला दरगाह हजरत कमाल शाह दरगाह को 25 अप्रैल की देर रात बिना किसी नोटिस के ध्वस्त करने को लेकर है। याचिका में कहा गया कि दरगाह हजरत कमाल शाह को वर्ष 1982 में सुन्नी सेंट्रल बोर्ड ऑफ वक्फ, लखनऊ, उत्तर प्रदेश के साथ वक्फ संपत्ति संख्या 55 देहरादून के रूप में पंजीकृत किया गया था।
‘CM पोर्टल पर की गई शिकायत के आधार पर हुई कार्रवाई’
याचिकाकर्ता का कहना है कि कथित कार्रवाई मुख्यमंत्री के पोर्टल पर की गई एक तुच्छ शिकायत के आधार पर की गई थी। उन्होंने एक मीडिया रिपोर्ट का हवाला दिया, जिसके अनुसार उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा है कि राज्य सरकार उत्तराखंड में पंजीकृत 5,700 वक्फ संपत्तियों की व्यापक जांच करेगी ताकि अतिक्रमण की पहचान की जा सके और उल्लंघन पाए जाने पर सख्त कार्रवाई सुनिश्चित की जा सके।
याचिकाकर्ता ने बुलडोजर मामले में शीर्ष अदालत के नवंबर 2024 के फैसले को भी शामिल किया है, जिसमें कहा गया था कि स्थानीय नगरपालिका कानूनों में दिए गए समय के अनुसार या सेवा की तारीख से 15 दिनों के भीतर बिना पूर्व कारण बताओ नोटिस के कोई भी तोड़फोड़ नहीं की जानी चाहिए।
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