इरेडा शेयर: भारतीय अक्षय ऊर्जा विकास एजेंसी (IREDA) ने 14 मई 2025 को जेनसोल इंजीनियरिंग लिमिटेड के विरुद्ध नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) में दिवालियापन (Insolvency) की याचिका दाखिल की है। यह याचिका दिवाला एवं ऋण शोधन अक्षमता संहिता, 2016 की धारा 7 के तहत की गई है।
यह पहली बार है जब किसी कर्जदाता संस्था ने जेनसोल के विरुद्ध औपचारिक रूप से दिवालिया कार्रवाई आरंभ की है।
510 करोड़ की चूक, निवेशकों को भारी क्षति
जेनसोल इंजीनियरिंग की वित्तीय स्थिति बुरी तरह चरमरा चुकी है। संगठन ने इरेडा से प्राप्त लगभग 510 करोड़ रुपये के उधारी की चूक की है। यह राशि इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद और परियोजनाओं के लिए दी गई थी, लेकिन इसका अनुचित “उपयोग” हुआ।
कंपनी का शेयर साल 2023 में 2390 रुपये था, जो अब गिरकर 59 रुपये तक आ गया है। विशेषज्ञों के “मुताबिक”, दिवालियापन की जानकारी के बाद शेयर में और गिरावट संभव है।

सेबी ने लगाया प्रतिबंध, प्रवर्तकों ने छोड़ा पद
सेबी की निरीक्षण में सामने आया कि कंपनी के प्रवर्तकों — अनमोल सिंह जग्गी और पुनीत सिंह जग्गी — ने फंड का अनुचित “उपयोग” कर के उसे अपने निजी शौक व सुविधाओं पर खर्च किया।
इस फंड हेराफेरी और संचालन में गड़बड़ियों के चलते, सेबी ने अप्रैल 2025 में अंतरिम आज्ञा के तहत कंपनी और प्रवर्तकों को प्रतिभूति बाजार से प्रतिबंधित कर दिया। इसके बाद 12 मई को दोनों प्रवर्तकों ने कंपनी से पदत्याग दे दिया।
सैट से राहत की उम्मीद, जवाब दाखिल करने का मौका
कंपनी ने सैट (Securities Appellate Tribunal) में सेबी के अंतरिम आज्ञा के विरुद्ध निवेदन दायर की थी। सैट ने कंपनी को आज्ञा पर जवाब दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का वक्त दिया है। यह राहत अस्थायी है और कंपनी के भविष्य की स्थिति सैट और NCLT के निर्णयो पर निर्भर करेगी।
निवेशकों की चिंता बढ़ी, कंपनी की साख खतरे में
इरेडा शेयर: जेनसोल इंजीनियरिंग पर गंभीर वित्तीय और कानूनी संकट मंडरा रहा है। IREDA की याचिका और सेबी के प्रतिबंधों के बाद कंपनी की साख पर गंभीर प्रभाव पड़ा है। शेयरधारक और निवेशक अब इस संकट में फंसी कंपनी के भविष्य को लेकर बेहद चिंतित हैं।
इस विषय से एक बार फिर कॉर्पोरेट पारदर्शिता, फंड मैनेजमेंट और नियामकीय सख्ती की “आवश्यकता” सामने आई है।