स्टॉकहोल्म । आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के आने से दुनिया में कामकाज में बड़ा बदलाव आया है। दफ्तरों में जहां इस तकनीक के जरिए काम आसान और तेज़ हो गया है, वहीं दूसरी और नौकरियों पर संकट भी गहराने लगा है। कई कंपनियों ने लागत कम करने और कुशलता बढ़ाने के उद्देश्य से एआई का इस्तेमाल करना शुरु कर दिया है, लेकिन हर प्रयोग सफल हो, ऐसा जरूरी नहीं। ऐसा ही कुछ स्वीडन की जानी-मानी फिनटेक कंपनी के साथ जिसने एआई पर जरूरत से ज्यादा भरोसा किया दो साल में ही उसे अपने फैसले पर पछताना पड़ा।
- सीईओ ने कहा- जितनी उम्मीदें थीं, वह उन पर खरा नहीं उतरी
- स्वीडन की कंपनी कर्लना ने साल 2023 में सुर्खियां बटोरी थीं जब उसने ऐलान किया था
कंपनी कर्लना ने साल 2023 में सुर्खियां बटोरी थीं
हुआ यूं कि स्वीडन की कंपनी कर्लना ने साल 2023 में सुर्खियां बटोरी थीं जब उसने ऐलान किया था कि वह अपने कामकाज में एआई को शामिल कर बड़ी संख्या में कर्मचारियों की छंटनी करेगी। कंपनी ने ओपरएआई के साथ साझेदारी की और ग्राहक सेवा से लेकर डेटा एनालिटिक्स और उत्पादन जैसे कई विभागों को ऑटोमेशन के हवाले कर दिया। कंपनी के सीईओ ने दावा किया था कि एआई इंसानों की तरह ही काम करने में सक्षम है और इसके जरिए कंपनी को 700 ग्राहक सेवा एजेंटों जितना काम मिल रहा है।
सीईओ ने माना कि एआई से जितनी उम्मीदें थीं, वह उन पर खरा नहीं उतरी
साथ ही उन्होंने यह भी कहा था कि इससे कंपनी ने करीब 85 करोड़ रुपए की बचत की है। कंपनी की यह नीति लागत घटाने की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम मानी जा रही थी। लेकिन दो साल के अंदर ही कंपनी की स्थिति बदल गई। हाल ही में कर्लना कंपनी के सीईओ ने माना कि एआई से जितनी उम्मीदें थीं, वह उन पर खरा नहीं उतरी। उन्होंने स्वीकार किया कि एआई की वजह से ग्राहक अनुभव पर बुरा असर पड़ा है और सेवा की गुणवत्ता में भारी गिरावट आई है। उन्होंने कहा कि एक कंपनी के तौर पर ग्राहकों को यह भरोसा दिलाना जरूरी है कि जब जरूरत हो, तो उन्हें एक इंसान से बात करने का विकल्प जरूर मिले।
फिर से कर्मचारियों को नियुक्त करेगी जहां मानवीय हस्तक्षेप जरुरी है
उन्होंने बताया कि जिन भूमिकाओं में सहानुभूति और मानवीय निर्णय की जरूरत होती है, वहां एआई पूरी तरह कारगर साबित नहीं हुआ। सीईओ का यह बयान न सिर्फ कंपनी की रणनीति में बदलाव को दर्शाता है, बल्कि यह भी बताता है कि टेक्नोलॉजी चाहे जितनी भी उन्नत क्यों न हो, इंसानी सोच और अनुभव की जगह नहीं ले सकती। कंपनी अब एक नई हायरिंग ड्राइव शुरू करने जा रही है, जिसके तहत वह उन पदों पर फिर से कर्मचारियों को नियुक्त करेगी जहां मानवीय हस्तक्षेप जरुरी है। खासतौर पर ग्राहक सेवा जैसे क्षेत्रों में कंपनी दोबारा इंसानों पर भरोसा जताने को मजबूर है।
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