नई दिल्ली. तिहाड़ जेल के कैदी अब रोजमर्रा का सामान खुद तैयार करेंगे। इसके लिए जेल प्रशासन इन हाउस इकाइयां लगवाएगा। इनमें कैदी चप्पल, टूथपेस्ट से लेकर अंडरवियर तक बनाएंगे। जेल प्रशासन नई निर्माण इकाइयों की स्थापना के लिए जल्द सरकार को प्रस्ताव भेजेगा। जेल के एक अधिकारी के मुताबिक इसका मकसद कैदियों में रोजगार दर बढ़ाना है। इससे दैनिक इस्तेमाल के उत्पादों की खरीद के खर्च में कमी भी आएगी।
आम तौर पर बड़े पैमाने पर खरीद की जरूरत होती है
अधिकारी ने बताया कि हम ऐसे उत्पादों के निर्माण का प्रस्ताव देंगे, जिनकी आम तौर पर बड़े पैमाने पर खरीद की जरूरत होती है। जेल में उन्हें बनाने में बहुत कम लागत आएगी। लेकिन हमारा प्राथमिक उद्देश्य कैदियों को यथासंभव व्यस्त रखना है। जेल में कुछ निर्माण इकाइयां पहले से चल रही हैं। इनमें कैदियों को अकुशल, अर्ध-कुशल और कुशल श्रमिकों के रूप में नियुक्त किया जाता है। जिन कैदियों को पहले कभी काम नहीं मिला, वे अकुशल श्रमिक के रूप में काम शुरू करते हैं। तीन महीने बाद उन्हें अर्ध-कुशल और छह महीने बाद कुशल श्रमिक माना जाता है।
अभी बनते हैं फर्नीचर-मसाले-मिठाइयां
तिहाड़ जेल में 20 हजार कैदी हैं। ये फिलहाल बेक्ड मिठाइयां, फर्नीचर, मसाले और स्नैक्स तैयार करते हैं। कैदियों द्वारा तैयार फर्नीचर का इस्तेमाल दिल्ली की सरकारी स्कूलों में किया जाता है, जबकि बेक्ड मिठाइयां तिहाड़ बेकरी आउटलेट में बेची जाती हैं। ये आउटलेट दिल्ली में कई जगह हैं। कुछ कैदी दर्जी का काम करते हैं। इनकी सिली सफेद शर्ट दिल्ली के वकील भी खरीदते हैं।
हर महीने 10,000 तक कमाई
नई इकाइयों के संचालन के लिए बोर्ड का गठन किया जाएगा। इसमें अधिकारी और कैदी शामिल होंगे। तिहाड़ जेल में अकुशल श्रमिक औसतन 7,000 रुपए, जबकि कुशल श्रमिक 10,000 रुपए प्रति माह कमाता है। सभी कैदियों में से कम से कम आठ फीसदी को किसी न किसी तरह नौकरी में नियोजित करना जरूरी है। जेल प्रशासन का मकसद रोजगार के नए अवसरों के साथ इसे 25% तक बढ़ाना है।
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