रायगढ़, 5 जून 2025: नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता और प्रख्यात पर्यावरणविद मेधा पाटकर को आज, 5 जून 2025 को ओडिशा के रायगढ़ जिले में पुलिस ने हिरासत में लिया। यह कार्रवाई विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर काशीपुर में आयोजित एक जन समावेश और प्राकृतिक संसाधन संरक्षण कार्यक्रम में उनकी भागीदारी से ठीक पहले की गई।
मेधा पाटकर को रायगढ़ रेलवे स्टेशन से पुलिस ने हिरासत में लिया, जिसके बाद सामाजिक कार्यकर्ताओं और स्थानीय समुदाय में आक्रोश फैल गया।
गिरफ्तारी का विवरण
X पर उपलब्ध जानकारी और समाचार स्रोतों के अनुसार, मेधा पाटकर काशीपुर में एक जन सभा को संबोधित करने जा रही थीं, जहां आदिवासी समुदायों के बीच खनन और पर्यावरणीय विनाश के खिलाफ जागरूकता फैलाने की योजना थी. कुछ X हैंडल्स ने बताया कि पुलिस ने उन्हें रेलवे स्टेशन से सुबह हिरासत में लिया। कई न्यूज़ एजेंसी ने दावा किया कि यह गिरफ्तारी संभावित “कानून-व्यवस्था की स्थिति” को रोकने के लिए की गई, क्योंकि काशीपुर में खनन विरोधी आंदोलन पहले भी तनाव का कारण बन चुके हैं।
पाटकर का इतिहास और काशीपुर का संदर्भ
मेधा पाटकर (जन्म: 1 दिसंबर 1954) नर्मदा बचाओ आंदोलन की संस्थापक हैं और आदिवासियों, दलितों, किसानों और पर्यावरण संरक्षण के लिए अपनी लड़ाई के लिए जानी जाती हैं। उन्होंने सरदार सरोवर बांध के कारण विस्थापितों के अधिकारों के लिए दशकों तक संघर्ष किया है। काशीपुर में उनकी उपस्थिति महत्वपूर्ण थी, क्योंकि यह क्षेत्र खनन कंपनियों के खिलाफ स्थानीय आदिवासियों के लंबे समय से चले आ रहे विरोध का केंद्र रहा है। 2000 में, काशीपुर में उत्कल एल्यूमिना इंटरनेशनल लिमिटेड (UAIL) के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान तीन आदिवासियों की मौत हो गई थी, जिसके बाद से यह क्षेत्र संवेदनशील बना हुआ है।
हादसे की पृष्ठभूमि और प्रतिक्रिया
मेधा पाटकर पहले भी कई बार गिरफ्तार हो चुकी हैं। 2017 में, मध्य प्रदेश पुलिस ने उन्हें सरदार सरोवर बांध के विस्थापितों से मिलने जाते समय हिरासत में लिया था। हाल ही में, 2024 में दिल्ली के उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना द्वारा दायर मानहानि मामले में उन्हें 5 महीने की सजा सुनाई गई थी, जिसे दिल्ली हाई कोर्ट ने स्थगित कर दिया। उनकी गिरफ्तारी की खबर ने सामाजिक कार्यकर्ताओं और विपक्षी दलों का ध्यान खींचा है। X पर @DharitriLive1 ने लिखा, “मेधा पाटकर की गिरफ्तारी पर्यावरण और आदिवासी अधिकारों पर हमला है।”