Iran Israel War पर पुतिन का बयान, नेतन्याहू से हुई सहमति
Iran Israel War को लेकर वैश्विक स्तर पर हलचल तेज़ हो गई है। इस बीच रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने इस संघर्ष को लेकर इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से सीधी बातचीत की है। बातचीत के दौरान दोनों नेताओं ने क्षेत्रीय स्थिरता और तनाव कम करने की आवश्यकता पर सहमति जताई।
क्या कहा पुतिन ने Iran Israel War को लेकर?
- पुतिन ने कहा कि “मध्य पूर्व में बढ़ता तनाव पूरी दुनिया के लिए खतरा बन सकता है।”
- रूस ने दोनों पक्षों से संयम बरतने और कूटनीतिक समाधान अपनाने की अपील की है।
- पुतिन ने यह भी स्पष्ट किया कि रूस क्षेत्रीय संघर्षों में शांति और स्थिरता के पक्ष में है।

पुतिन और नेतन्याहू के बीच बातचीत में क्या हुआ?
- टेलीफोन पर हुई बातचीत में नेतन्याहू ने इजरायल की सुरक्षा चिंताओं को साझा किया।
- पुतिन ने इजरायल की कुछ बातों से सहमति जताई लेकिन सीमा पार हमलों से बचने की सलाह दी।
- दोनों नेताओं ने यह भी माना कि तनाव कम करने के लिए समान प्रयास जरूरी हैं।
रूस की भूमिका क्या हो सकती है?
- रूस के सीरिया और ईरान से अच्छे संबंध हैं, वहीं वह इजरायल के साथ भी संवाद बनाए हुए है।
- ऐसे में पुतिन एक संतुलित मध्यस्थ की भूमिका में सामने आ सकते हैं।
- विश्लेषकों का मानना है कि रूस की सक्रियता से क्षेत्रीय संघर्ष की तीव्रता कुछ हद तक कम हो सकती है।

इस बातचीत के क्या मायने हैं?
- यह पहला मौका है जब रूस ने ईरान-इजरायल जंग पर खुलकर प्रतिक्रिया दी है।
- इससे संकेत मिलता है कि अब यह मामला केवल दो देशों का नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा का विषय बन चुका है।
- अमेरिका, यूरोप और अब रूस — तीनों महाशक्तियां इस संघर्ष पर निगरानी बनाए हुए हैं।
अब आगे क्या हो सकता है?
- संयुक्त राष्ट्र और अन्य वैश्विक मंचों पर इस मसले पर प्रस्ताव आ सकते हैं।
- रूस मध्य पूर्व में कूटनीतिक मिशन शुरू कर सकता है।
- अगर संघर्ष नहीं रुका, तो तेल की कीमतों में बढ़ोतरी, वैश्विक बाजार में गिरावट और शरणार्थी संकट जैसे प्रभाव सामने आ सकते हैं।
Iran Israel War अब सिर्फ एक क्षेत्रीय युद्ध नहीं रह गया, बल्कि इसमें वैश्विक महाशक्तियां भी कूटनीतिक रूप से सक्रिय हो रही हैं। पुतिन और नेतन्याहू के बीच हुई यह बातचीत एक संकेत है कि बड़े देश अब समाधान के लिए पहल कर रहे हैं। आने वाले दिनों में यह देखना अहम होगा कि क्या यह बातचीत शांति की दिशा में कोई ठोस कदम बन पाएगी या हालात और बिगड़ेंगे।