लंदन। यूनाइटेड किंगडम के तेलंगाना एसोसिएशन (TAK) के तत्वावधान में लंदन में बोनालू जातरा का आयोजन किया गया। पूरे ब्रिटेन से 2000 से अधिक प्रवासी परिवारों ने इस समारोह में भाग लिया। उद्घाटन समारोह में टॉक के अध्यक्ष रत्नाकर कडुदुला, उपाध्यक्ष ने सुषमा रेड्डी और महासचिव सुप्रजा पुलुसु, उपाध्यक्ष सुरेश बुडगम, सामुदायिक मामलों के अध्यक्ष गणेश कुप्पला और सचिव शैलजा जेला वक्ताओं के रूप में उपस्थित थे।
कार्यक्रम में लंदन की कई हस्तियों ने भाग लिया
बोनालू जातरा कार्यक्रम में मुख्य अतिथि संसदीय अवर सचिव (Immigration and Citizenship) सीमा मल्होत्रा, पूर्व सांसद वीरेंद्र शर्मा, हाउंस्लो की मेयर एमी क्रॉफ्ट और केंसिंग्टन एवं चेल्सी के उप-महापौर उदय अरेती, सांसद पद के उम्मीदवार उदय नागराजू, स्थानीय पार्षद प्रभाकर खाजा, अजमेर ग्रेवाल, प्रीतम ग्रेवाल और बंधन चोपड़ा उपस्थित थे।

ब्रिटेन में सभी वर्गों और संस्कृतियों के लोगों का समर्थन
तेलंगाना राज्य फिल्म विकास निगम के पूर्व अध्यक्ष और TAQ के संस्थापक अनिल कुर्माचलम और यूके तेलुगु बिजनेस चैंबर के निदेशक सिक्का चंद्रशेखर गौड़ ने विशेष अतिथि के रूप में भाग लिया। अपने देश की तरह पारंपरिक पूजा-अर्चना की गई और कलश यात्रा विशेष आकर्षण का केंद्र रही। पूरे परिवार के साथ इस उत्सव को मनाना और आने वाली पीढ़ियों को यह बताना बेहद प्रेरणादायक है कि ब्रिटेन एक महान देश है जो सभी वर्गों और संस्कृतियों के लोगों का समर्थन करता है। मुख्य अतिथियों ने कहा कि हम सभी को एक साथ आना चाहिए और एकजुट होना चाहिए।

इतने बड़े पैमाने पर आयोजन करना गर्व की बात
एनआरआई बी.आर.एस. यूके के अध्यक्ष और टीएक्यू के राष्ट्रीय संयोजक नवीन रेड्डी ने कहा कि लंदन में इतने बड़े पैमाने पर तेलंगाना राज्य उत्सव का आयोजन करना गर्व की बात है और प्रवासी तेलंगाना संघों के गठन के बाद, बोनालु-बतुकम्मा समारोह दुनिया भर में बड़े ही भव्य तरीके से आयोजित किए जा रहे हैं।
बोनालू का त्योहार किस राज्य में मनाया जाता है?
त्योहार मुख्य रूप से तेलंगाना राज्य में मनाया जाता है, विशेषकर हैदराबाद, सिकंदराबाद और आसपास के क्षेत्रों में।
बोनालू कौन सी जाति मनाते हैं?
त्योहार को मनाने का कोई एक जाति-विशेष सीमित नहीं है। यह मुख्य रूप से तेलंगाना की लोक परंपरा का हिस्सा है।
बोनालू त्योहार के पीछे का विज्ञान क्या है?
बोनालू त्योहार के पीछे धार्मिक आस्था के साथ-साथ कुछ वैज्ञानिक और सामाजिक पहलू भी जुड़े हुए हैं।
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