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Shubhanshu : अंतरिक्ष से क्या लेकर आए, कैसे बीते शुभांशु शुक्ला के वो 18 दिन

Surekha Bhosle
Surekha Bhosle
Shubhanshu :  अंतरिक्ष से क्या लेकर आए, कैसे बीते शुभांशु शुक्ला के वो 18 दिन

अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष (space) स्टेशन से आज भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला (Shubhanshu Shukla) धरती पर आ गए हैं। ‘एक्सिओम-4’ मिशन के तहत ISS में 18 दिन बिताने के बाद शुभांशु शुक्ला और उनके तीन अन्य सहयोगी अंतरिक्ष यात्री भी धरती पर वापस आ गए हैं। चारों अंतरिक्ष यात्री सैन डिएगो तट पर पानी में उतरेंगे। बता दें कि यात्रा पर रवाना होने से पहले एक्सिओम मिशन-4 कई बार स्थगित हुआ था और इसके बाद एक्सिओम-4 मिशन की अंतरिक्ष यात्रा। 

25 जून को शुरू हुई जब ड्रैगन अंतरिक्ष कैप्सूल

25 जून को शुरू हुई जब ड्रैगन अंतरिक्ष कैप्सूल को ले जाने वाला फाल्कन-9 रॉकेट फ्लोरिडा से अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) की ओर रवाना हुआ था। यह मिशन, भारत, पोलैंड और हंगरी के लिए काफी अहमियत रखने वाला है

नासा ने बताया कि एक्सिओम मिशन-4 पर गए अतरिक्ष यात्रा अपने साथ करीब 580 पाउंड सामान लेकर आए हैं। उनके इस सामान में कई महत्वपूर्ण चीजे हैं जिसमें नासा का हार्डवेयर और इंपोर्टेंट डाटा है। उनके द्वारा लाया गया ये डाटा उन 60 से ज्यादा एक्सपेरिमेंट्स का है जो मिशन के दौरान इन अंतरिक्ष यात्रियों ने अंजाम दिया है। 

शुभांशु शुक्ला के कैसे बीते 18 दिन 

  • अंतरिक्ष में 18 दिन बिता चुके शुभांशु शुक्‍ला Shubhanshu Shukla ने वहां हर दिन 16 सूर्योदय और सूर्यास्त देखे क्योंकि अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) पृथ्वी से करीब 400 किलोमीटर ऊपर की कक्षा में 28,000 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ़्तार से घूमता है। 
  • अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन पर शुभांशु शुक्ला Shubhanshu Shukla ने विशिष्ट सूक्ष्म-गुरुत्वाकर्षण प्रयोग किए, जो अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी में भारत की बढ़ती क्षमताओं का प्रदर्शन था। 
  • ये प्रयोग भविष्य के ग्रहों से संबंधित मिशनों और लंबी अवधि के अंतरिक्ष में रहने के लिए महत्वपूर्ण डेटा उपलब्ध कराने के लिए था।
  • भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला Shubhanshu Shukla ने अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर हरे चने, मेथी और मूंग के बीज उगाए हैं। यह एक शोध का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य यह देखना था कि माइक्रोग्रैविटी (अंतरिक्ष का गुरुत्वाकर्षण) में पौधों के बीज कैसे अंकुरित और विकसित होते हैं। 
     
  • शुभांशु शुक्ला ने आईएसएस पर मूंग और मेथी के बीजों को पेट्री डिश में अंकुरित किया और फिर उन्हें आईएसएस के एक स्टोरेज फ्रीजर में रख दिया। 
     
  • इस प्रयोग के तहत, यह भी देखा जाएगा कि इन बीजों से उगे पौधों की आनुवंशिकी, सूक्ष्मजीवी पारिस्थितिकी तंत्र और पोषण प्रोफाइल में क्या बदलाव होते हैं। 
     
  • शुभांशु शुक्ला ने एक अन्य प्रयोग में सूक्ष्म शैवाल का भी उपयोग किया है, जिसका उपयोग भोजन, ऑक्सीजन और जैव ईंधन के उत्पादन के लिए किया जा सकता है। यह शोध भविष्य में अंतरिक्ष में टिकाऊ खेती के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है। 

25 जून को शुरू हुई जब ड्रैगन अंतरिक्ष कैप्सूल

25 जून को शुरू हुई जब ड्रैगन अंतरिक्ष कैप्सूल को ले जाने वाला फाल्कन-9 रॉकेट फ्लोरिडा से अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) की ओर रवाना हुआ था। यह मिशन, भारत, पोलैंड और हंगरी के लिए काफी अहमियत रखने वाला है।

क्या साथ लेकर आए हैं शुभांशु शुक्ला

नासा ने बताया कि एक्सिओम मिशन-4 पर गए अतरिक्ष यात्रा अपने साथ करीब 580 पाउंड सामान लेकर आए हैं। उनके इस सामान में कई महत्वपूर्ण चीजे हैं जिसमें नासा का हार्डवेयर और इंपोर्टेंट डाटा है। उनके द्वारा लाया गया ये डाटा उन 60 से ज्यादा एक्सपेरिमेंट्स का है जो मिशन के दौरान इन अंतरिक्ष यात्रियों ने अंजाम दिया है। 

शुभांशु शुक्ला के कैसे बीते 18 दिन 

  • अंतरिक्ष में 18 दिन बिता चुके शुभांशु शुक्‍ला ने वहां हर दिन 16 सूर्योदय और सूर्यास्त देखे क्योंकि अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) पृथ्वी से करीब 400 किलोमीटर ऊपर की कक्षा में 28,000 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ़्तार से घूमता है। 
  • अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन पर शुभांशु शुक्ला ने विशिष्ट सूक्ष्म-गुरुत्वाकर्षण प्रयोग किए, जो अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी में भारत की बढ़ती क्षमताओं का प्रदर्शन था। 
  • ये प्रयोग भविष्य के ग्रहों से संबंधित मिशनों और लंबी अवधि के अंतरिक्ष में रहने के लिए महत्वपूर्ण डेटा उपलब्ध कराने के लिए था।

शुभांशु शुक्ला ने 18 दिन क्या क्या किया

  • भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर हरे चने, मेथी और मूंग के बीज उगाए हैं। यह एक शोध का हिस्सा है,
  • जिसका उद्देश्य यह देखना था कि माइक्रोग्रैविटी (अंतरिक्ष का गुरुत्वाकर्षण) में पौधों के बीज कैसे अंकुरित और विकसित होते हैं। 
     
  • शुभांशु शुक्ला ने आईएसएस पर मूंग और मेथी के बीजों को पेट्री डिश में अंकुरित किया और फिर उन्हें आईएसएस के एक स्टोरेज फ्रीजर में रख दिया। 
     
  • इस प्रयोग के तहत, यह भी देखा जाएगा कि इन बीजों से उगे पौधों की आनुवंशिकी, सूक्ष्मजीवी पारिस्थितिकी तंत्र और पोषण प्रोफाइल में क्या बदलाव होते हैं। 
     
  • शुभांशु शुक्ला ने एक अन्य प्रयोग में सूक्ष्म शैवाल का भी उपयोग किया है, जिसका उपयोग भोजन, ऑक्सीजन और जैव ईंधन के उत्पादन के लिए किया जा सकता है। यह शोध भविष्य में अंतरिक्ष में टिकाऊ खेती के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है। 

अंतरिक्ष में उगाया चना, मेथी और मूंग

  • शुभांशु शुक्ला और टीम में शामिल अन्य अंतरिक्ष यात्रियों अंतरिक्ष में 14 दिनों तक कई वैज्ञानिक रिसर्च किए जिसमें अंतरिक्ष में मानव शरीर पर पड़ने वाले प्रभावों का अध्ययन करना, जैसे कि जीरो ग्रैविटी में शरीर की प्रतिक्रिया शामिल है।
     
  • कुल मिलाकर टीम ने 31 देशों के 60 प्रयोग किए जिसमें विज्ञान और तकनीक को आगे बढ़ाने के लिए विभिन्न प्रकार के प्रयोग शामिल हैं।

शुभांशु शुक्ला का गांव कौन सा है?

उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले के भरावन विकास खंड स्थित गांव कोरौंध के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने अंतरिक्ष यात्रा कर इतिहास रच दिया है।

शुभांशु शुक्ला का रैंक क्या है?

वायु सेना में करियर। 2025 तक, शुक्ला ग्रुप कैप्टन के पद पर हैं। वह एक योग्य परीक्षण पायलट हैं, जिनके पास सुखोई Su-30MKI, मिग-21, मिग-29, SEPECAT जगुआर, BAE हॉक, डोर्नियर 228 और एंटोनोव An-32 सहित विभिन्न प्रकार के विमानों पर 2,000 घंटे से अधिक उड़ान का अनुभव है।

अन्य पढ़ें: Shubhanshu Shukla अंततः धरती पर वापस आएं

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