वाराणसी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गुरुवार को काशी (Kashi) पहुंचे। यहां उन्होंने काशी विश्वनाथ धाम (Kashi Vishwanath Dham) व ‘काशी कोतवाल’ काल भैरव का दर्शन-पूजन किया।
काशी विश्वनाथ गर्भगृह में षोडशोपचार पूजन कर लोक कल्य़ाण की कामना की
श्रावण मास में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने काशी विश्वनाथ गर्भगृह में षोडशोपचार पूजन कर लोक कल्य़ाण की कामना की। सीएम योगी ने मंदिर प्रांगण में श्रद्धालुओं का अभिवादन भी किया। मुख्यमंत्री ने काल भैरव मंदिर में भी विधि विधान से पूजा-अर्चना की।
सीएम ने बाबा के भक्तों का किया अभिवादन
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने काशी विश्वनाथ मंदिर पहुंचने पर जलाभिषेक करने आए भक्तों का अभिवादन किया। वहीं सीएम को देखकर बाबा के भक्तों ने भी हर-हर महादेव का जयकारा लगाया। गुरुवार को दो दिवसीय दौरे पर वाराणसी पहुंचे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंदिर, जिला व पुलिस प्रशासन के अधिकारियों को निर्देश दिया कि पूरे श्रावण मास में यहां आने वाले श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की असुविधा का सामना न करना पड़े।

भक्तों की हर सुविधा का ध्यान रखा जाए : सीएम योगी
उन्होंने कहा कि भक्तों की हर सुविधा का ध्यान रखा जाए। भक्तों की सुरक्षा और सुगम दर्शन सरकार की प्राथमिकता है। दर्शन-पूजन के दौरान कैबिनेट मंत्री स्वतंत्र देव सिंह, अनिल राजभर, राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रविंद्र जायसवाल, विधायक सुशील सिंह, विधान परिषद सदस्य हंसराज विश्वकर्मा आदि मौजूद रहे।
Kashi Vishwanath मंदिर का इतिहास क्या है?
काशी विश्वनाथ मंदिर का इतिहास हजारों साल पुराना है। यह मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है और इसे अत्यंत पवित्र माना जाता है।
Kashi Vishwanath ज्योतिर्लिंग की कहानी क्या है?
काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग की कथा प्राचीन शास्त्रों में वर्णित है। इसके पीछे कई मान्यताएँ हैं:
- एक कथा के अनुसार, भगवान शिव और भगवान विष्णु में यह विवाद हुआ कि कौन श्रेष्ठ है। भगवान ब्रह्मा ने कहा कि जो ब्रह्माण्ड की सीमा को जान पाए, वही श्रेष्ठ होगा।
तब भगवान शिव अग्नि के रूप में एक अंतहीन स्तंभ (ज्योतिर्लिंग) के रूप में प्रकट हुए।
यह माना गया कि यह ज्योतिर्लिंग ही काशी विश्वनाथ के रूप में स्थापित हुआ। - एक अन्य मान्यता के अनुसार, काशी को स्वयं भगवान शिव ने निवास स्थान के रूप में चुना और कहा कि “जब तक काशी रहेगी, मेरी सत्ता रहेगी।”
यह भी मान्यता है कि मरण के समय यदि कोई व्यक्ति काशी में भगवान शिव का नाम ले, तो शिव स्वयं उसके कान में “तारक मंत्र” फूंकते हैं, जिससे उसकी मोक्ष प्राप्ति होती है।
काशी विश्वनाथ मंदिर में कब जाना चाहिए?
मंदिर जाने का सबसे अच्छा समय मौसम, भीड़ और धार्मिक दृष्टि से तय होता है:
साल भर का सर्वोत्तम समय:
- अक्टूबर से मार्च: इस दौरान मौसम सुहावना होता है और भीड़ अपेक्षाकृत कम होती है।
- श्रावण मास (जुलाई–अगस्त): यह महीना भगवान शिव को समर्पित होता है, लेकिन इस दौरान भारी भीड़ होती है।
दिन का सर्वोत्तम समय:
- सुबह 4:00 बजे से 6:00 बजे (मंगला आरती का समय) — आध्यात्मिक ऊर्जा सबसे ऊंचे स्तर पर होती है।
- शाम 7:00 बजे (संध्या आरती) — बहुत भव्य और दिव्य वातावरण होता है।
विशेष अवसर:
- महाशिवरात्रि, श्रावण सोमवार, प्रदोष व्रत, और दुर्गा पूजा के समय यहाँ विशेष आयोजन होते हैं।
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