बिहार के प्रवासी मजदूर
संगारेड्डी। पटनचेरु के बंदलागुडा औद्योगिक क्षेत्र स्थित अग्रवाल रबर इंडस्ट्रीज में एक 34 वर्षीय औद्योगिक कर्मचारी की बिजली का करंट लगने से मौत हो गई। मृतक की पहचान बिहार (Bihar) के प्रवासी मजदूर सुरेश सिंह यादव (Suresh Singh Yadav) के रूप में हुई है।
न्याय और मुआवजे की मांग
घटना के बाद, सहकर्मियों और पीड़ित परिवार के सदस्यों ने फैक्ट्री परिसर में विरोध प्रदर्शन किया और पीड़ित परिवार के लिए न्याय और मुआवजे की मांग की। परिजनों ने आरोप लगाया कि यह दुर्घटना प्रबंधन द्वारा बुनियादी सुरक्षा उपायों को लागू न करने के कारण हुई। लंबी बातचीत के बाद, प्रबंधन 55 लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने पर सहमत हो गया। परिवार ने शुरुआत में एक करोड़ रुपये की मांग की थी।
बिजली का इतिहास क्या है?
बिजली का इतिहास हजारों साल पुराना है, लेकिन इसका वैज्ञानिक विकास 18वीं शताब्दी से शुरू हुआ। बेंजामिन फ्रैंकलिन ने 1752 में बिजली और तूफ़ान के संबंध पर प्रयोग किया। थॉमस एडिसन ने 1879 में पहला व्यावसायिक बल्ब बनाया। निकोला टेस्ला और फारडे जैसे वैज्ञानिकों ने विद्युत प्रवाह, ट्रांसफार्मर और एसी करंट की खोज में योगदान दिया।

फैक्ट्री का काम क्या था?
फैक्ट्री वह स्थान है जहाँ कच्चे माल को मशीनों और श्रमिकों की सहायता से तैयार माल में बदला जाता है। फैक्ट्रियों में उत्पादन, पैकेजिंग, गुणवत्ता जांच, और वितरण जैसी प्रक्रियाएं होती हैं। औद्योगिक क्रांति के बाद फैक्ट्रियाँ बड़े पैमाने पर उत्पादन का केंद्र बनीं।
फैक्ट्री का हिंदी क्या होता है?
फैक्ट्री का हिंदी में अर्थ होता है “कारखाना”। यह वह स्थान होता है जहाँ किसी वस्तु का निर्माण या उत्पादन मशीनों और श्रमिकों के माध्यम से किया जाता है। कारखाने विभिन्न उद्योगों जैसे कपड़ा, लोहे, दवा, वाहन आदि में होते हैं।
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