रविवार को मांसाहारी भोजन और शराब पीना स्वेच्छा से बंद कर दिया
करीमनगर। जहां अधिकांश परिवार रविवार को विशेष भोजन, जिसमें अक्सर मांसाहारी व्यंजन शामिल होते हैं, के साथ आराम करने के दिन के रूप में मनाते हैं, वहीं गंगाधर मंडल (Gangadhar Mandal) के गरशाकुर्थी गांव के निवासियों ने एक अलग रास्ता चुना है। 2 मार्च से, स्थानीय लोगों ने भगवान सूर्य से जुड़ी धार्मिक मान्यताओं का हवाला देते हुए, रविवार को मांसाहारी भोजन (Non-vegetarian food) और शराब पीना स्वेच्छा से बंद कर दिया है। यह सामूहिक निर्णय गाँव में आयोजित 126 दिनों के श्रीमद्भागवत और महाभारत प्रवचनों के बाद लिया गया, जिसके बारे में बुजुर्गों का कहना है कि इसने समुदाय को इस दिन की ‘पवित्रता बनाए रखने’ के लिए प्रेरित किया।
हर घर जाकर इस फैसले के पीछे का समझा रहे कारण
जो निवासी कभी रविवार को भोग-विलास का दिन मानते थे, अब वे पूरी तरह से इससे दूर रहते हैं, और गाँव में मांस-मदिरा की बिक्री भी बंद कर दी गई है। इस नियम का पालन सुनिश्चित करने के लिए, गाँव के बुजुर्गों ने पूरे गरशाकुर्ती में बैनर लगा दिए हैं और हर घर जाकर इस फैसले के पीछे का कारण समझा रहे हैं।
रविवार भगवान सूर्य के लिए एक शुभ दिन
गाँव के बुजुर्गों ने कहा, ‘रविवार भगवान सूर्य के लिए एक शुभ दिन माना जाता है। हिंदू परंपरा की रक्षा और पवित्रता बनाए रखने के लिए, हम सभी इस प्रथा पर सहमत हुए हैं। सभी को इसका पालन करना चाहिए।’ हालांकि कुछ निवासियों ने शुरू में इस निर्णय का पालन नहीं किया था, लेकिन स्थानीय नेताओं ने समझौते को लागू करने के बजाय सामाजिक अनुनय के माध्यम से इसे सुदृढ़ करने के प्रयास फिर से शुरू कर दिए हैं।

शराब पर प्रतिबंध का शब्द क्या है?
सरकारी या कानूनी रूप से शराब के निर्माण, बिक्री, सेवन या वितरण पर लगाई गई रोक को “शराबबंदी” कहा जाता है। यह शब्द सामाजिक और नैतिक उद्देश्य से जुड़ा होता है और इसका प्रयोग तब होता है जब राज्य या केंद्र सरकार शराब को पूरी तरह बंद करने का निर्णय लेती है।
शराबबंदी क्या है?
राज्य द्वारा कानून के माध्यम से लगाए गए उस प्रतिबंध को शराबबंदी कहते हैं, जिसमें शराब पीना, बेचना, बनाना और रखना अवैध घोषित कर दिया जाता है। यह नीति आमतौर पर समाज की भलाई, महिलाओं की सुरक्षा और स्वास्थ्य सुधार के उद्देश्य से अपनाई जाती है।
भारत में शराब पर प्रतिबंध कैसे लगाया जाए?
भारतीय संविधान की अनुच्छेद 47 में राज्यों को शराबबंदी लागू करने का निर्देश दिया गया है। राज्य सरकारें विधानसभा में कानून बनाकर शराब पर प्रतिबंध लागू कर सकती हैं। इसके लिए जन समर्थन, कानून प्रवर्तन और वैकल्पिक रोजगार की योजना जरूरी होती है।
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