चेहरे की पहचान वाले अटेंडेंस ऐप की जाँच की
कोत्तागुडेम। जिला कलेक्टर जितेश वी पाटिल ने मंगलवार को 42 ग्राम पंचायत सचिवों को शारीरिक रूप से उपस्थित होने के बजाय अपनी तस्वीरों का उपयोग करके कथित रूप से फर्जी उपस्थिति दर्ज करने के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया। बताया गया कि ये अनियमितताएँ तब सामने आईं जब अधिकारियों ने फर्जी उपस्थिति रिकॉर्ड की राज्यव्यापी जाँच के तहत चेहरे की पहचान वाले अटेंडेंस (Attendance) ऐप की जाँच की। पता चला कि सचिवों ने ग्राम पंचायत कार्यालय में किसी व्यक्ति को ड्यूटी (Duty) पर न होने के बावजूद फोटो के ज़रिए अपनी उपस्थिति दर्ज करवा ली थी।
लाइव फेस रिकग्निशन ऐप के ज़रिए अपनी दर्ज कराएँ उपस्थिति
कलेक्टर ने सभी पंचायत सचिवों को निर्देश दिया कि वे निर्धारित समय के भीतर लाइव फेस रिकग्निशन ऐप के ज़रिए अपनी उपस्थिति दर्ज कराएँ। उन्होंने चेतावनी दी कि ऐसा न करने या फ़र्ज़ी उपस्थिति दर्ज कराने की कोशिश करने पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। इस बीच, कथित तौर पर ग्राम पंचायत सचिवों ने अपना बचाव करते हुए कहा कि उन्हें उपस्थिति दर्ज करने के लिए अपनी तस्वीरों का उपयोग करना पड़ा क्योंकि हाल ही में तकनीकी और सर्वर समस्याओं के कारण ऐप में खराबी आ गई थी।

पंचायत क्या होती है?
गाँव के स्थानीय शासन का सबसे छोटा इकाई पंचायत कहलाती है। इसमें गाँव के चुने हुए प्रतिनिधि मिलकर विकास, न्याय और जनसेवा से जुड़े निर्णय लेते हैं। इसे तीन स्तरों में बाँटा जाता है: ग्राम पंचायत, पंचायत समिति और जिला परिषद।
पंचायत से क्या अभिप्राय है?
इस शब्द से तात्पर्य है ऐसी स्थानीय संस्था, जो आम जनता की भागीदारी से गठित होकर गाँव के प्रशासन, विवाद निपटारे और योजनाओं के संचालन का काम करती है। इसका आधार लोकतांत्रिक चुनाव और सामाजिक भागीदारी होता है।
पंचायती राज क्या है?
यह एक तीन-स्तरीय शासन व्यवस्था है जिसे भारत में संविधान के 73वें संशोधन द्वारा 1992 में लागू किया गया। इसका उद्देश्य है ग्राम स्तर पर सत्ता का विकेंद्रीकरण, ताकि आम लोग अपने क्षेत्र के विकास और प्रशासन में सीधे भाग ले सकें।
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