जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक (Satypal Malik) के निधन के बाद एक नया विवाद सामने आया है। 5 अगस्त 2025 को दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में 79 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया। वह लंबे समय से किडनी की बीमारी और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे थे। उनके निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित कई नेताओं ने शोक व्यक्त किया, लेकिन अंतिम संस्कार में राजकीय सम्मान न दिए जाने को लेकर सवाल उठ रहे हैं।
मलिक ने 2018 से 2019 तक जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल के रूप में कार्य किया। इस दौरान अनुच्छेद 370 को रद्द करने में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण रही। उन्होंने किरु हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट में कथित भ्रष्टाचार का खुलासा कर केंद्र सरकार को कठघरे में खड़ा किया था, जिसके बाद सीबीआई ने उनकी जांच शुरू की। मलिक ने हमेशा भ्रष्टाचार और सत्ता के दुरुपयोग के खिलाफ खुलकर आवाज उठाई, जिसने उन्हें जनता का प्रिय और सरकार का आलोचक बनाया।
आम आदमी पार्टी और अन्य विपक्षी दलों ने राजकीय सम्मान न दिए जाने को “सियासी प्रतिशोध” करार दिया। AAP नेता संजय सिंह ने कहा, “यह मलिक जी की सच्चाई और साहस का अपमान है।” दूसरी ओर, बीजेपी ने इसे सामान्य प्रशासनिक निर्णय बताया और कहा कि प्रोटोकॉल के तहत सभी पहलुओं पर विचार किया गया। मलिक की सादगी, निडरता और जनसेवा को लोग याद कर रहे हैं। क्या यह विवाद केंद्र और विपक्ष के बीच नई जंग छेड़ेगा? क्या मलिक के योगदान को उचित सम्मान मिलेगा?
भारत में राजकीय सम्मान किसे मिलता है?
भारत में राष्ट्रीय महत्व के लोगों, जैसे पूर्व प्रधानमंत्रियों, राष्ट्रपतियों, केंद्रीय मंत्रियों और राज्य के मुख्यमंत्रियों, का राजकीय अंतिम संस्कार किया जाता है। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में, कानूनों में ढील दी गई है और राज्य सरकार तय करती है कि किसका राजकीय अंतिम संस्कार किया जाएगा ।
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