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Youth: फॉरेंसिक इंस्टीट्यूट की स्थापना से प्रदेश के युवाओं के सपनों को मिल रही उड़ान

Ajay Kumar Shukla
Ajay Kumar Shukla
Youth: फॉरेंसिक इंस्टीट्यूट की स्थापना से प्रदेश के युवाओं के सपनों को मिल रही उड़ान

लखनऊ : फॉरेंसिक इंस्टीट्यूट की स्थापना से प्रदेश के युवाओं के सपनों को उड़ान मिल रही है। योगी सरकार (Yogi government) ने पिछले आठ वर्षों में अपराध की रोकथाम, अपराधियों की पहचान और कोर्ट में प्रभावी पैरवी के जरिये कठोर सजा दिलाने के लिए फॉरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला (Science Laboratory) का विस्तार किया है। वहीं प्रदेश में फॉरेंसिक इंस्टीट्यूट की स्थापना भी की, ताकि प्रदेश के युवा फॉरेंसिक के क्षेत्र में अपना करियर बना सकें। साथ ही इसके माध्यम से फॉरेंसिक के जरिये साइबर अपराध समेत अपराधियों को फॉरेंसिक साक्ष्यों के आधार पर कड़ी सजा दिलायी जा सके

प्रदेश का पहला फॉरेंसिक इंस्टीट्यूट

योगी सरकार ने प्रदेश के पहले फॉरेंसिक इंस्टीट्यूट की स्थापना की है। वर्तमान में यह संस्थान फॉरेंसिक शिक्षा और अनुसंधान का प्रमुख केंद्र है। यहां प्रशिक्षु वैज्ञानिकों, पुलिस अधिकारियों और जांच से जुड़े कर्मियों समेत छात्रों को प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है।। साथ ही नई तकनीकों पर शोध कार्य भी किया जा रहा है। इससे उत्तर प्रदेश को राष्ट्रीय ही नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी फॉरेंसिक विज्ञान के क्षेत्र में नई पहचान मिल रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की दूरदर्शी सोच का ही परिणाम है कि प्रदेश में विधि विज्ञान प्रयोगशालाओं को न सिर्फ विस्तार दिया गया, बल्कि उन्हें अत्याधुनिक संसाधनों से भी लैस किया गया है। प्रदेश में विधि विज्ञान प्रयोगशालाओं की संख्या और क्षमता में वृद्धि, आधुनिक तकनीक का समावेश और प्रशिक्षित वैज्ञानिकों की नियुक्ति ने प्रदेश में अपराध नियंत्रण की गति को तेज कर दिया है।

2017 से पहले केवल 4 प्रयोगशालाएं थी, अब 12 सक्रिय

वर्ष 2017 से पहले प्रदेश में महज 4 विधि विज्ञान प्रयोगशालाएं संचालित थी। इन प्रयोगशालाओं का संचालन लखनऊ, वाराणसी, आगरा और गाज़ियाबाद में किया जा रहा था। वहीं मुख्यमंत्री योगी के नेतृत्व में प्रदेश सरकार ने अपराध नियंत्रण और न्याय प्रणाली को मज़बूत करने के उद्देश्य से नई प्रयोगशालाओं की स्थापना का निर्णय लिया। नतीजतन वर्ष 2017 के बाद 8 नई प्रयोगशालाएं स्थापित की गईं। वर्तमान समय में प्रदेश में कुल 12 विधि विज्ञान प्रयोगशालाएँ सक्रिय हैं। इनमें झांसी, प्रयागराज, गोरखपुर, कानपुर, बरेली, गाेंडा, अलीगढ़ और मुरादाबाद शामिल हैं। योगी सरकार का यह विस्तार अपराध जांच की दिशा में क्रांतिकारी कदम साबित हुआ है। पहले जहां सीमित संख्या में उपलब्ध प्रयोगशालाओं के कारण मामलों के निस्तारण में विलंब होता था, वहीं अब विभिन्न जिलों में उपलब्ध प्रयोगशालाओं से पुलिस और न्यायालयों को समयबद्ध रिपोर्ट प्राप्त हो रही है।

प्रदेश में 6 नई प्रयोगशालाओं की स्थापना का कार्य जारी

प्रदेश सरकार ने आधुनिक तकनीकों से लैस फॉरेंसिक प्रयोगशालाओं की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए और भी जिलों में नए केंद्र खोलने का निर्णय लिया है। इसी क्रम में अयोध्या, बस्ती, बांदा, आज़मगढ़, मीरजापुर और सहारनपुर में 6 नई प्रयोगशालाओं की स्थापना का कार्य प्रगति पर है। इन प्रयोगशालाओं के शुरू हो जाने के बाद प्रदेश में अपराध नियंत्रण और साक्ष्य संकलन की प्रक्रिया और भी प्रभावी हो जाएगी। उत्तर प्रदेश की विधि विज्ञान प्रयोगशालाओं ने एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की है।

NAFIS (National Automated Finger Print Identification System) के तहत राज्य स्तर पर अंगुली चिन्ह ब्यूरो और उससे जुड़े नेटवर्क को हाईटेक बनाया गया है। इससे एसटीएफ की 9 यूनिट, एटीएस की 1 यूनिट और जीआरपी की 12 इकाइयों को जोड़ा गया है। वहीं, 98 लोकेशनों पर हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर की स्थापना की गयी है। इस व्यवस्था के चलते एनसीआरबी नई दिल्ली द्वारा जारी डैशबोर्ड में प्रदेश को पहला स्थान प्राप्त हुआ है। अब तक लगभग 4,14,473 फिंगरप्रिंट्स का डिजिटलीकरण किया जा चुका है। इससे अपराधियों की पहचान और अज्ञात शवों के मिलान की प्रक्रिया सरल और त्वरित हुई है।

अपराधियों की पहचान में क्रांतिकारी बदलाव

NAFIS के माध्यम से पुलिस विभाग को अपराधियों की पहचान और उनकी पुरानी गतिविधियों की जानकारी तेजी से मिल रही है। साथ ही अज्ञात शवों की पहचान में भी यह तकनीक अहम भूमिका निभा रही है। इसके परिणामस्वरूप अपराध नियंत्रण और अपराधियों के खिलाफ त्वरित कार्रवाई में सफलता मिल रही है। सरकार ने हाल के वर्षों में तीन नई अधिनियम (BNS, BNSS, BSA-2023) लागू किए हैं, जिनके प्रभावी क्रियान्वयन के लिए विधि विज्ञान प्रयोगशालाओं में वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों की नियुक्ति पर भी जोर दिया गया है। नई भर्ती के माध्यम से प्रशिक्षित वैज्ञानिकों को विभिन्न इकाइयों में तैनात किया गया है। ये वैज्ञानिक विवेचना, साक्ष्य संग्रहण, प्रयोगशाला विश्लेषण और बीट आधारित पुलिसिंग में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं।

फोरेंसिक में कितने विभाग होते हैं?

फोरेंसिक विज्ञान (Forensic Science) में कई विभाग (Branches/Divisions) होते हैं, जिनमें से हर एक विभाग अपराध की जांच में अलग-अलग तरह से सहायता करता है।

Forensic जांच का अर्थ क्या है?

“किसी अपराध या संदिग्ध घटना की वैज्ञानिक पद्धति से जांच करना ताकि सच्चाई और अपराधी का पता लगाया जा सके।”

Forensic रिपोर्ट क्या है?

फोरेंसिक रिपोर्ट वह दस्तावेज़ है जिसमें फोरेंसिक जांच के निष्कर्ष (results) वैज्ञानिक तरीके से लिखे होते हैं।

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