नई दिल्ली। देश का अगला उपराष्ट्रपति कौन होगा, इसका फैसला अब 9 सितंबर को होगा। इस चुनाव में राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है। विपक्षी महागठबंधन इंडिया ब्लॉक (India Block) की ओर से सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश और गोवा के पहले लोकायुक्त बी. सुदर्शन रेड्डी (B. Surdarsan Reddy) ने गुरुवार को औपचारिक रूप से नामांकन पत्र दाखिल कर दिया।
रेड्डी के नामांकन पत्र पर कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, डीएमके सांसद तिरुचि शिवा और समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता रामगोपाल यादव समेत लगभग 80 सांसदों ने प्रस्तावक के तौर पर हस्ताक्षर किए। नामांकन के मौके पर खड़गे ने कहा कि “रेड्डी भारत के सबसे प्रतिष्ठित और प्रगतिशील न्यायविदों में से एक हैं, और विपक्ष का यह निर्णय लोकतांत्रिक मूल्यों व संविधान की रक्षा के लिए लिया गया है।”
क्यों खाली हुआ उपराष्ट्रपति का पद?
स्वास्थ्य कारणों से जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद से उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति का पद खाली पड़ा है। इसी रिक्ति को भरने के लिए यह चुनाव हो रहा है। सत्तारूढ़ एनडीए ने इस पद के लिए महाराष्ट्र के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन को उम्मीदवार बनाया है। भाजपा और सहयोगी दलों ने विपक्षी पार्टियों से भी समर्थन जुटाने की कोशिश की, लेकिन उन्हें खास सफलता नहीं मिल सकी।
रेड्डी का बयान – यह राजनीतिक नहीं, संवैधानिक पद
नामांकन दाखिल करने के बाद बी. सुदर्शन रेड्डी ने कहा कि उपराष्ट्रपति का पद कोई राजनीतिक कुर्सी नहीं है, बल्कि यह संविधान की रक्षा करने वाली संस्था का हिस्सा है। उन्होंने बताया कि एक साथी न्यायाधीश ने उनसे पूछा कि वे राजनीति में क्यों आ रहे हैं। इस पर उन्होंने जवाब दिया—“मेरा सफर 1971 में एक वकील के रूप में शुरू हुआ था और यह चुनौती उसी सफर का अगला पड़ाव है।”
9 सितंबर को होगा फैसला
अब सबकी नजरें 9 सितंबर पर टिकी हैं, जब मतदान के जरिए तय होगा कि देश का अगला उपराष्ट्रपति कौन बनेगा। माना जा रहा है कि इस बार का मुकाबला बेहद कड़ा और दिलचस्प होगा, क्योंकि दोनों ही पक्ष अपने-अपने उम्मीदवारों के समर्थन में पूरी ताकत झोंक रहे हैं। यह चुनाव सिर्फ सत्ता की ताकत का नहीं, बल्कि संवैधानिक मूल्यों की रक्षा और राजनीतिक संतुलन का भी अहम इम्तिहान माना जा रहा है।
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