उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने पीओके को मिलाने का फैसला भारत सरकार पर छोड़ दिया, पाकिस्तान की अंदरूनी स्थिति पर चिंता जताई और जम्मू कश्मीर में शांति, विकास और आतंकवाद पर नियंत्रण की दिशा में विश्वास व्यक्त किया।
जम्मू उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा कि पाकिस्तान की जनता में अविश्वास का माहौल अपने चरम पर है। रही बात पीओके कि तो उसे देश में मिलाने का फैसला भारत सरकार को करना है। उपराज्यपाल ने एक चैनल को दिए साक्षात्कार में शुक्रवार को ये बातें कहीं। तबादलों पर मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की तरफ से प्रतिक्रिया को लेकर कहा कि जिम्मेदार पदों पर बैठे लोगों को सोच समझकर बोलना चाहिए।
उपराज्यपाल ने कहा कि पाकिस्तान की जनता में अविश्वास का माहौल बना हुआ है। दूसरी तरफ यहां पीओके है, वहां पर जनता जब हमको देखती है तो कहती है कि जो हिस्सा मोदी के पास है वहां पर सड़कें हैं, अस्पताल हैं और डाक्टर हैं। जबकि यहां हमारे यहां गेहूं व आटे के लिए लाइन लग रही है। उपराज्यपाल ने कहा कि पाकिस्तान एक विफल राज्य है। पाकिस्तान कई समस्याओं चाहे बलूच का हो या पड़ोस का मसला हो, इससे जूझ रहा है।
उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने अपने बयान में कहा कि कटड़ा से श्रीनगर वंदेभारत रेल सेवा का शुभारंभ संभवत: अप्रैल के तीसरे सप्ताह में 19 या 20 अप्रैल तक होने की संभावना है। इसमें कोई संशय नहीं है।
जम्मू-कश्मीर में शांति है,
उन्होंने जम्मू कश्मीर को लेकर कहा कि यहां पर शांति है इसके लिए किसी के सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं है। आम आदमी यहां शांति महसूस कर रहा है। जो लोग देश के अन्य भागों से यहां कश्मीर आ रहे हैं, उन्हें मैं ब्रांड एंबेस्डर मानता हूं। इसीलिए कश्मीर में आने वाले लोगों की संख्या बढ़ रही है।
सही समय पर मिलेगा पूर्ण राज्य का दर्जा
पूर्ण राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग को लेकर बयान मे उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा कि पूर्व में भी प्रधानमंत्री व गृहमंत्री इसको लेकर स्पष्ट कर चुके हैं कि सही समय आने पर पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल किया जाएगा। विधानसभा चुनाव के दौरान जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कश्मीर आए थे तब भी यही बात उन्होंने कही थी। इसमें किसी प्रकार का संदेह नहीं होना चाहिए। लोगों को इंतजार करना चाहिए।
अब तो आतंकवादी तंजीमों का कोई कमांडर नहीं बचा है
जम्मू कश्मीर में आतंकवादी गतिविधियों को लेकर उपराज्यपाल मनेाज सिन्हा ने कहा कि जब वह सात अगस्त 2019 को यहां आए थे, तब से लेकर अब तक काफी कुछ बदल चुका है। यहां पर शांति,समृद्धि व विकास की बात हो रही है। आतंकवादी तंजीमों का अब तो कोई कमांडर नहीं बचा है।
उपराज्यपाल ने कहा कि यह सच है कि बीते 15-16 वर्षों से जम्मू में शांति थी। स्वाभाविक रूप से सभी का ध्यान कश्मीर पर रहा। बीते दो-ढाई वर्षों से जम्मू में प्रयास किए जा रहे थे। अब ऊंचाई वाले स्थानों पर सुरक्षाबलों के जवान तैनात किए गए हैं और ये आतंकवाद का पूरी तरह सफाया करने में कामयाब होंगे।
जम्मू के लोग आतंकवाद को न तो प्रश्रय देते हैं और न ही इस तरह की गतिविधियों में शामिल हैं। हम निश्चित तौर पर आतंकवाद पर यहां भी विजय प्राप्त करेंगे। एक सवाल के जवाब में उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के धारा 370 हटाए जाने के उस बयान पर कहा कि सार्वजनिक समारोहों में राष्ट्रगान का कार्यक्रम शुरू किया था। यह इतना प्रचलित हुआ कि तिरंगे कम पड़ने लगे। यह कहना गलत है कि कोई जम्मू कश्मीर में तिरंगा उठाने वाला नहीं रहेगा।