झांसी (Jhansi) के हाजीपुरा गांव के रहने वाले आकाश की ज़िंदगी झूठे आरोपों की वजह से पूरी तरह बर्बाद हो गई। बगैर किसी गुनाह के उन्होंने 3 साल 19 दिन जेल (Jail) में बिताए और आखिरकार अदालत से बरी हुए।
जब केस चल रहा था, उसी दौरान उनके माता-पिता का निधन हो गया। मुकदमे की पैरवी के लिए उनकी तीन बीघा जमीन भी बिक गई। अदालत ने माना कि आकाश को झूठे मर्डर केस में फंसाया गया था। उस समय वे आईटीआई के छात्र थे और पढ़ाई छोड़ने को मजबूर हो गए।
आकाश का दर्द उनकी बातों से झलकता है:
“मैंने 3 साल जेल में गुज़ारे। केस चलता रहा और पापा-मम्मी दुनिया से चले गए। मेरी पढ़ाई छूट गई, करियर खत्म हो गया। अब कोर्ट चाहे कह दे कि मैं हत्यारा नहीं हूं, लेकिन समाज मुझे उसी नज़र से देखता है। मेरी पूरी ज़िंदगी तबाह हो गई है।”
7 साल पुराना मामला
करीब 7 साल पहले एक 16 साल की छात्रा की मौत के बाद आकाश और उनके ममेरे भाई अंकित पर आत्महत्या के लिए उकसाने का केस दर्ज हुआ था। मामला पॉक्सो कोर्ट में पहुंचा। लंबे ट्रायल के दौरान पुलिस के सभी सबूत आकाश और अंकित के पक्ष में निकले।
जांच और सुनवाई के बाद अदालत ने कहा कि छात्रा ने आत्महत्या नहीं की थी, बल्कि उसका कत्ल उसके पिता और परिवार वालों ने मिलकर किया था। साथ ही कोर्ट ने माना कि पिता ने बनावटी कहानी बनाकर दोनों छात्रों को फंसाया।
कोर्ट के आदेश
विशेष न्यायाधीश मोहम्मद नेयाज अहमद अंसारी ने आदेश दिया कि लड़की के पिता के खिलाफ झूठे सबूत पेश करने का मुकदमा दर्ज किया जाए। इसके अलावा, लड़की की मौत के बाद परिवार को जो सरकारी मुआवजा मिला था, उसे भी वापस वसूला जाएगा।
फैसला सुनते ही अदालत कक्ष में मौजूद आकाश और अंकित फूट-फूटकर रो पड़े।
यह कहानी केवल आकाश की नहीं, बल्कि उन तमाम निर्दोष लोगों की है, जो झूठे मामलों में फंसकर सालों तक जेल की यातना झेलते हैं और बरी होने के बाद भी समाज से सम्मान नहीं पा पाते।
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