नई दिल्ली, 18 सितंबर 2025: अमेरिका (America) से आई एक बड़ी खबर ने भारतीय शेयर बाजार को झकझोर दिया। फेडरल रिजर्व (Fed) द्वारा साल 2025 की पहली पॉलिसी रेट में 25 बेसिस पॉइंट (0.25%) की कटौती के ऐलान के बाद गुरुवार को बाजार खुलते ही हरे निशान पर पहुंच गया। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) का प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स ओपनिंग के साथ ही 83,000 का स्तर पार कर गया, जबकि नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का निफ्टी भी 25,400 के ऊपर चढ़ गया। यह तेजी आईटी से लेकर फार्मा सेक्टर तक फैल गई, जिससे निवेशकों में उत्साह की लहर दौड़ गई।
सेंसेक्स और निफ्टी का धमाकेदार प्रदर्शन
बुधवार को सेंसेक्स 82,693.71 पर बंद हुआ था, लेकिन गुरुवार की सुबह यह 83,108.92 पर खुला और जल्द ही 83,141.21 के उच्च स्तर को छू लिया। वहीं, निफ्टी ने पिछले बंद भाव 25,330.25 से उछाल लेते हुए 25,441.05 पर शुरुआत की। शुरुआती कारोबार में कुल 1,651 कंपनियों के शेयरों में बढ़त दर्ज की गई, जबकि सिर्फ 698 शेयर लाल निशान में दिखे। बाकी 152 शेयर फ्लैट रहे। यह तेजी वैश्विक संकेतों का सीधा परिणाम मानी जा रही है, जहां अमेरिकी बाजार भी पॉजिटिव मूड में हैं।
सेक्टर-वाइज तूफान: आईटी और फार्मा चमके
बाजार की यह रौनक खासतौर पर आईटी और फार्मा सेक्टरों में दिखी। लार्जकैप स्टॉक्स में इंफोसिस का शेयर लगभग 2% की तेजी के साथ ट्रेड कर रहा था। एचडीएफसी बैंक, एचसीएल टेक और सनफार्मा जैसे दिग्गजों में 1 से 1.50% की बढ़त रही। मिडकैप कैटेगरी में एस्कॉर्ट्स (3.29%), इरेडा (2.86%), टाटा कम्युनिकेशंस (2.50%), बायोकॉन (2.10%) और केपीआई टेक (1.80%) ने निवेशकों को सरप्राइज दिया।
स्मॉलकैप में तो कमाल ही हो गया! आईआरएम एनर्जी (13%), पूनावाला फार्मा (11.10%), एसएमएस फार्मा (7%), एचआईटेक (6.50%), न्यूजेन सॉफ्टवेयर (4.86%) और जेनटेक फार्मा (4.80%) जैसे शेयरों में जबरदस्त उछाल आया। फार्मा सेक्टर की यह तेजी अमेरिकी दर कटौती से सस्ते फंडिंग और निर्यात अवसरों की उम्मीद से जुड़ी है, जबकि आईटी में ग्लोबल टेक डिमांड ने जोर पकड़ा।
फेड की दर कटौती: क्या है बैकग्राउंड?
बुधवार को फेड की दो दिवसीय बैठक के बाद आया यह फैसला 2025 का पहला रेट कट है। अमेरिकी ब्याज दरें अब 4 से 4.25% के दायरे में आ गई हैं। पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ वॉर से बढ़े महंगाई के दबाव के बीच यह कदम अर्थव्यवस्था को सहारा देने वाला माना जा रहा है। फेड चेयर जेरोम पॉवेल ने कहा कि यह कटौती मुद्रास्फीति को काबू में रखते हुए विकास को बढ़ावा देगी।
भारतीय बाजार पर इसका असर इसलिए साफ दिखा क्योंकि कम अमेरिकी दरें विदेशी निवेश को आकर्षित करती हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे रुपये में स्थिरता आएगी और कॉर्पोरेट कम्पनियों के लिए उधार सस्ता होगा। हालांकि, कुछ एनालिस्ट्स चेतावनी दे रहे हैं कि अगर वैश्विक ट्रेड टेंशन बढ़े, तो यह तेजी अस्थायी हो सकती है।
विशेषज्ञों की राय: सतर्क रहें, लेकिन अवसर लपकें
मार्केट एक्सपर्ट्स का कहना है कि यह तेजी लॉन्ग-टर्म निवेश के लिए अच्छा संकेत है, लेकिन शॉर्ट-टर्म में वोलेटिलिटी बनी रह सकती है। एमके ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज के हेड अशुजित बोस ने कहा, “फेड कट से ग्लोबल लिक्विडिटी बढ़ेगी, जो इमर्जिंग मार्केट्स जैसे भारत के लिए फायदेमंद है। आईटी और फार्मा पर फोकस करें।” वहीं, निवेशकों को सलाह दी जा रही है कि कोई भी ट्रेड करने से पहले अपने फाइनेंशियल एडवाइजर से बात करें।
भविष्य के लिए आउटलुक पॉजिटिव है। अगर अमेरिकी डेटा मजबूत रहा, तो सेंसेक्स 85,000 के लक्ष्य की ओर बढ़ सकता है। लेकिन, जियोपॉलिटिकल रिस्क्स और घरेलू मुद्रास्फीति पर नजर रखनी होगी। कुल मिलाकर, यह फेड कट भारतीय बाजार के लिए एक बड़ा बूस्टर साबित हो रहा है – बस, स्मार्ट प्ले करें!
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