लखनऊ, 19 सितंबर 2025: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ (Lucknow) में जानकीपुरम योजना के जमीन घोटाले में एक बड़ा खुलासा हुआ है। यूपी महिला आयोग की उपाध्यक्ष अपर्णा यादव की मां अंबी बिष्ट समेत लखनऊ विकास प्राधिकरण (LDA) के पांच तत्कालीन कर्मचारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम और आपराधिक साजिश रचने की धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। यह कार्रवाई उत्तर प्रदेश विजिलेंस विभाग ने शासन की मंजूरी के बाद की है, जो फोरेंसिक जांच के आधार पर की गई। मामला करोड़ों रुपये का है, जिसमें अपात्र लोगों को भूखंड आवंटित करने और हस्ताक्षरों की जालसाजी का आरोप है।
घोटाले का पूरा मामला: जानकीपुरम योजना में अनियमितताएं
यह घोटाला लखनऊ के जानकीपुरम इलाके में बहुजन निर्बल वर्ग सहकारी गृह निर्माण समिति लिमिटेड से जुड़ा है। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने पहले इस मामले में ईओडब्ल्यू (आर्थिक अपराध शाखा) की जांच से असंतुष्टि जताई थी और इसे विजिलेंस को सौंप दिया था। कोर्ट ने 25 सितंबर तक पहली रिपोर्ट तलब की है। विजिलेंस की गोपनीय जांच में पता चला कि आरोपी LDA के तत्कालीन कर्मचारियों ने अपात्र लाभार्थियों को भूखंडों के बैनामा कराए और सरकारी धन हड़प लिया।
फोरेंसिक जांच में बैनामों पर सभी आरोपियों के हस्ताक्षर सत्यापित हुए। अंबी बिष्ट उस समय LDA की संपत्ति अधिकारी थीं, और उनकी भूमिका घोटाले के केंद्र में बताई जा रही है। अन्य आरोपी LDA के पूर्व अधिकारी और कर्मचारी हैं, जिन्होंने साजिश रचकर योजना को प्रभावित किया। विजिलेंस ने शासन को रिपोर्ट भेजी थी, जिसके बाद मुकदमा दर्ज कर विवेचना शुरू हो गई है।
अपर्णा यादव का कनेक्शन
अपर्णा यादव, जो बीजेपी की सदस्य हैं और यूपी महिला आयोग की उपाध्यक्ष हैं, पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के छोटे बेटे प्रतीक यादव की पत्नी हैं। उनकी मां अंबी बिष्ट का नाम इस घोटाले में आने से मामला राजनीतिक रूप से गरमा गया है। विपक्षी दलों ने इसे BJP सरकार पर सवाल उठाने का मौका बनाया है, जबकि सत्ताधारी दल ने कहा है कि कानून सबके लिए बराबर है। अपर्णा यादव का नाम सीधे मामले में नहीं है, लेकिन उनके परिवार का जुड़ाव चर्चा का केंद्र बन गया है।
भ्रष्टाचार पर लगाम
विजिलेंस के लखनऊ सेक्टर ने FIR गोमती नगर थाने में दर्ज कराई है। इसमें भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13(1)(c), 13(1)(d) और IPC की धारा 120B (आपराधिक साजिश) लगाई गई हैं। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “यह कार्रवाई पुख्ता सबूतों पर आधारित है। आगे की जांच में और खुलासे हो सकते हैं।” हाईकोर्ट के आदेश के बाद यह जांच तेज हुई है, और 30 अधिकारियों पर कार्रवाई की तलवार लटक रही है।
यह मामला लखनऊ के अन्य जमीन घोटालों की याद दिलाता है, जैसे गोमतीनगर का 1000 करोड़ का स्कैम, जहां भी LDA अधिकारियों पर सवाल उठे थे। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसी कार्रवाइयां भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने में मदद करेंगी।
इस मुकदमे से लखनऊ की राजनीति में हलचल मच गई है। विपक्ष ने सरकार पर ‘चुनिंदा कार्रवाई’ का आरोप लगाया है, जबकि BJP ने इसे ‘कानूनी प्रक्रिया’ बताया। विवेचना जारी है, और हाईकोर्ट की अगली सुनवाई में और अपडेट्स आ सकते हैं। यह घटना यूपी में जमीन आवंटन प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल खड़े करती है।