इलेक्ट्रोमैग्नेटिक लेज़र से ड्रोन खतम होंगे
बीजिंग: बीजिंग में चीनी(China) रक्षा विशेषज्ञों ने इजरायल(Israel) की तरह एक शक्तिशाली इलेक्ट्रोमैग्नेटिक लेज़र हथियार और व्यापक डिजिटल प्लेटफॉर्म — जिसे वे ‘डिजिटल ग्रेट वॉल’ कह रहे हैं — विकसित करने का ऐलान किया है। यह प्रणाली नौसेना की युद्धपोतों को सस्ते स्वार्म ड्रोन हमलों से बचाने के लिए उपग्रह, एआई-सेंसर और हाई-एनर्जी वेपन को एकीकृत करेगी। विशेषज्ञों का कहना है कि इसके तैनात होने से हिंद महासागर में क्षेत्रीय तनाव बढ़ सकता है और भारत(India) के सामने नई सुरक्षा चुनौतियाँ आएंगी।
तकनीक और सामरिक रूपरेखा
पीएलए के दालियान नौसेना अकादमी के प्रोफेसर गुओ चुआनफू के अध्ययन के अनुसार विरोधी सेनाएँ सस्ते ड्रोन झुंड भेजकर युद्धपोत की रक्षा को चुनौती दे सकती हैं। उनका पेयर-रिव्यूड अध्ययन नेवल काउंटर-स्वार्म सिस्टम पर प्रकाशित हुआ था और इसमें हाई-एनर्जी माइक्रोवेव, लेज़र तथा हाइपरसोनिक मिसाइलों के संयोजन की रूपरेखा दी गई है। इनके अनुसार स्वार्म ड्रोन की परंपरागत रक्षा पद्धतियाँ असफल साबित हो सकती हैं।
हालाँकि यह विचार पहले से इजरायल जैसी तकनीकों से प्रेरित है, चीनी मॉडल में सेंसर नेटवर्क और एआई का बड़ा रोल होगा ताकि ड्रोन झुंडों का पता लगाकर उन्हें खेलने से पहले ही बेअसर किया जा सके। रिपोर्टों में कहा गया है कि चीनी सैन्य परेड में प्रदर्शित कई हथियार इसी रणनीति का हिस्सा हैं।
युद्धक्षेत्र पर असर और समुद्री विस्तार
चीन(China) ने हालिया सैन्य परेड में LY-1 लेज़र वेपन, हाई-एनर्जी माइक्रोवेव और CJ-1000 हाइपरसोनिक मिसाइल जैसी क्षमताएँ दिखाई हैं, जो लंबी दूरी से धमकी देने में सक्षम हैं। ये प्रणालियाँ न केवल ड्रोन बल्कि मालवाहक विमान और लॉजिस्टिक चैन को भी लक्षित कर सकती हैं। इस तकनीक के कार्यान्वयन से नौसैनिक अभियानों का स्वरूप बदलने का खतरा है।
इसीलिए चीन(China) का यह कदम हिंद महासागर में उसकी उपस्थिति को और सशक्त करेगा; उसने ग्वादर, हंबनटोटा, कॉक्स बाजार और क्याऊकप्यू जैसे बंदरगाह विकास के जरिए क्षेत्रीय पहुँच बनाई है, साथ ही जिबूती में नौसैनिक अड्डा भी उसके नियंत्रण को मजबूत करता है।
इस तकनीक से भारत को क्या चुनौती मिलेगी?
ड्रोन स्वार्म और दूरस्थ हाई-एनर्जी वेपन के संयोजन से पारंपरिक समुद्री रक्षा प्रणालियाँ जूझ सकती हैं। भारत को अपने सेंसर नेटवर्क, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध क्षमता और उपग्रह-आधारित निगरानी को तेज करना होगा ताकि समुद्री मार्ग और रीअर-सप्लाई लाइनें सुरक्षित रहें।
क्या यह सब वैश्विक शस्त्र प्रतिस्पर्धा बढ़ाएगा?
विशेषज्ञों का सुझाव है कि उन्नत लेज़र व माइक्रोवेव हथियारों का विस्तार क्षेत्रीय शस्त्रीकरण तेज करेगा और अंतरराष्ट्रीय समुद्री नियमों, मिसाइल नियंत्रण तथा तकनीकी निर्यात नीतियों पर नई बहस शुरू कर सकता है।
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