एयर कंडीशनर होने पर भी मौतें जारी
टोक्यो: टोक्यो में इस साल रिकॉर्डतोड़ गर्मी ने सैकड़ों बुजुर्गों की जान ले ली। जापान(Japan) तेजी से बूढ़ी होती आबादी और जलवायु परिवर्तन की दोहरी चुनौती झेल रहा है। कई घरों में एसी मौजूद होने के बावजूद लोग इसे नहीं चला रहे हैं, जिसके चलते हीटस्ट्रोक(Heatstroke) से मौतें बढ़ रही हैं। सरकार ने अलार्म डिवाइस और आपातकालीन टीमों की मदद से स्थिति संभालने की कोशिश शुरू की है।
रिकॉर्ड गर्मी और बुजुर्गों की संवेदनशीलता
अगस्त में तापमान(Temperature) 41.8 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया, जो अब तक का सबसे ऊँचा स्तर है। मई से अगस्त के बीच 90,000 लोग हीटस्ट्रोक के कारण अस्पताल पहुंचे, जिनमें अधिकांश बुजुर्ग थे।
विशेषज्ञों का कहना है कि उम्र बढ़ने के साथ शरीर का पसीना निकालने और प्यास महसूस करने की क्षमता घट जाती है। इस कारण बुजुर्ग जल्दी गंभीर स्थिति में पहुँच जाते हैं। कई लोग खेतों और मजदूरी जैसे कामों में लगे रहते हैं, जिससे उनका जोखिम और बढ़ जाता है।
एसी का इस्तेमाल न करने की समस्या
हाल ही में सामने आए आंकड़ों से पता चलता है कि टोक्यो में 101 मौतों में से 66 ऐसे घरों में हुईं जहाँ एसी तो था, पर उसे चालू नहीं किया गया।
इसका कारण है कि पुरानी पीढ़ी एसी की आदी नहीं रही। कई इसे महंगे बिजली बिलों के डर से बंद रखते हैं और कुछ लोग पर्यावरणीय नुकसान की सोचकर इसका इस्तेमाल नहीं करते। ऐसे में पंखे और प्राकृतिक हवा जैसे उपाय बेअसर साबित हो रहे हैं।
अकेलेपन ने संकट को और बढ़ाया
जापान(Japan) में 65 वर्ष से अधिक उम्र के 13% लोग अकेले रहते हैं। अनुमान है कि 2050 तक यह संख्या हर पाँच घरों में से एक तक पहुँच जाएगी।
अकेलेपन के कारण बुजुर्गों की मौतें बिना ध्यान दिए होती रहती हैं। कई लोग पैसों की तंगी से अपराधों की ओर भी बढ़ते हैं। इसी कारण जापान सरकार ने “मिनिस्टर ऑफ लोनलीनेस” नियुक्त किया है और विभिन्न कार्यक्रमों के जरिए अकेले बुजुर्गों की देखभाल की कोशिश कर रही है।
Japan में हीटवेव से मौतों की मुख्य वजह क्या है?
मुख्य कारण हैं—लंबे समय तक रिकॉर्ड गर्मी, अकेले रहना और एसी न चलाना। बुजुर्गों का शरीर तापमान सहन नहीं कर पाता और समय रहते मदद नहीं मिल पाती, जिससे स्थिति जानलेवा हो जाती है।
सरकार बुजुर्गों को बचाने के लिए क्या कदम उठा रही है?
सरकार ने अलार्म डिवाइस उपलब्ध कराए हैं, जिन्हें दबाने पर आपातकालीन टीमें तुरंत पहुँच जाती हैं। साथ ही अकेले बुजुर्गों की पहचान, नियमित देखभाल और सामाजिक संपर्क बढ़ाने के लिए नए कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं।
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