मुंबई, 22 सितंबर 2025 एनसीपी (शरद पवार) की सांसद सुप्रिया सुले आरक्षण को लेकर दिए गए एक बयान के कारण फिर से विवादों के घेरे में आ गई हैं। टीवी चैनल पर अपने बच्चों के लिए आरक्षण की जरूरत न होने की बात कहने के बाद विपक्षी दलों और सामाजिक संगठनों ने उनकी कड़ी आलोचना की। हालांकि, सुप्रिया ने सफाई देते हुए संविधान का हवाला देकर कहा कि उनका बयान केवल व्यक्तिगत था। साथ ही, उन्होंने पार्टी नेता राज राजापुरकर को मिल रही धमकियों के बाद सुरक्षा की मांग की।
विवाद की शुरुआत: क्या कहा था सुप्रिया ने?
सुप्रिया सुले का विवादित बयान एक टीवी डिबेट के दौरान आया, जहां उन्होंने कहा कि उनके बच्चे सशक्त और शिक्षित हैं, इसलिए उन्हें आरक्षण की जरूरत नहीं है। इस बयान को मराठा, ओबीसी और अन्य समुदायों के खिलाफ बताते हुए वंचित बहुजन आघाडी (वीबीए) समेत कई संगठनों ने हमला बोला। वीबीए ने इसे आरक्षण विरोधी मानते हुए सुप्रिया की माफी की मांग की। महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण का मुद्दा पहले से ही गरम है, और यह बयान आग में घी डालने जैसा साबित हुआ।
संविधान का सहारा: सुप्रिया की सफाई
आजतक से विशेष बातचीत में सुप्रिया सुले ने अपने बयान पर सफाई दी। उन्होंने कहा, “मैं बहुत स्पष्ट हूं कि हमें सबको बाबासाहेब आंबेडकर द्वारा लिखे संविधान का पालन करना चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि ये देश संविधान पर चले।”
सुप्रिया ने जोर देकर कहा कि उनका बयान केवल अपने परिवार तक सीमित था। “मैं खास तौर पर अपने बच्चों की बात कर रही थी। मैं एक उदार परिवार में पैदा हुई और एक बहुत उदार परिवार में शादी की। सुप्रिया सुले के रूप में नैतिक और सिद्धांतवादी रूप से महिलाओं के आरक्षण का फायदा लेना मुझे सही नहीं लगा। मेरा पॉइंट केवल मेरे दो बच्चों तक सीमित था। यदि लोग मेरी पूरी बातचीत सुनेंगे तो समझ जाएंगे। मेरे बच्चे सशक्त और शिक्षित हैं, उन्हें आरक्षण नहीं मांगना चाहिए।”
जाति-आधारित आरक्षण पर उनका रुख साफ है: “हां, ये अभी-भी जरूरी है। हम कई सामाजिक मुद्दों और चुनौतियों के साथ जी रहे हैं। हमें सबको साथ ले जाना चाहिए। ये बाबासाहेब का सपना था और मैं उनका सम्मान करती हूं।”
वीबीए के आरोपों पर सुप्रिया ने हाथ जोड़कर अपील की, “विनम्रता के साथ और हाथ जोड़कर, मैं सभी से अपील करती हूं कि मेरा वीडियो देखें। मैंने इसमें बहुत स्पष्ट रूप से कहा है। शायद उन्होंने मिस कर दिया, लेकिन मैं फिर से अनुरोध करती हूं कि देखें।”
उन्होंने मराठा, लिंगायत और धनगर समुदायों की आरक्षण मांगों पर बहस की वकालत की, लेकिन एससी-एसटी आरक्षण को सेटल्ड मुद्दा बताया।
सुरक्षा की मांग: धमकी भरे कॉल्स से चिंता
सुप्रिया ने विवाद के बीच एक और गंभीर मुद्दा उठाया। उन्होंने बताया कि एनसीपी के ओबीसी सेल के स्टेट अध्यक्ष राज राजापुरकर को पिछले तीन दिनों से धमकी भरे फोन कॉल्स मिल रहे हैं, जिसमें हत्या की धमकी भी शामिल है। सोमवार को जारी बयान में सुप्रिया ने महाराष्ट्र सरकार से राजापुरकर को तत्काल पुलिस संरक्षण देने और धमकाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की। यह घटना आरक्षण विवाद को और तूल दे रही है।
प्रतिक्रियाएं और संदर्भ
महाराष्ट्र में आरक्षण का मुद्दा लंबे समय से राजनीतिक गर्मी का विषय रहा है। मराठा आरक्षण की मांग पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राज्य सरकार प्रयासरत है, लेकिन विपक्ष इसे राजनीतिक हथियार बना रहा है। सुप्रिया का बयान एनसीपी (शरद पवार) को नुकसान पहुंचा सकता है, खासकर ओबीसी वोट बैंक में। वीबीए जैसे संगठन इसे आरक्षण विरोधी एजेंडे का हिस्सा बता रहे हैं।
सुप्रिया की सफाई से विवाद शांत होगा या नहीं, यह आने वाले दिनों में साफ होगा, लेकिन यह घटना महाराष्ट्र की राजनीति में नई बहस छेड़ चुकी है।