पाकिस्तान (Pakistan) की वायुसेना ने अपनी ही सरहद पर एक चौंकाने वाले हवाई हमले में खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के नागरिकों को निशाना बनाया, जिसमें कम से कम 30 निर्दोष लोगों की मौत हो गई। यह घटना रविवार-मंडे की दरम्यानी रात करीब 2 बजे मत्रे दारा गांव और तिराह घाटी में हुई, जहां JF-17 लड़ाकू विमानों से आठ एलएस-6 बम गिराए गए। हमले में महिलाओं और बच्चों समेत कई नागरिक मारे गए, जबकि 20 अन्य घायल हो गए। पाकिस्तानी सेना ने इस घटना पर अब तक कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है, जिससे सवाल उठ रहे हैं कि क्या यह आतंकवाद विरोधी अभियान था या नागरिकों पर गलत निशाना।
घटना का विवरण: गांव पर बमबारी से तबाही
खैबर पख्तूनख्वा के उत्तरी इलाके में स्थित मत्रे दारा गांव पर पाकिस्तानी वायुसेना ने अचानक हवाई हमला बोला। स्थानीय सूत्रों के अनुसार, JF-17 थंडर फाइटर जेट्स ने कम से कम आठ एलएस-6 प्रिसिजन गाइडेड बम गिराए, जिससे गांव के पांच घर पूरी तरह तबाह हो गए। घटनास्थल से मिले वीडियो और तस्वीरों में मलबे के ढेर के बीच महिलाओं और बच्चों के शव नजर आ रहे हैं। बचाव दल अभी भी मलबे हटाने और लापता लोगों की तलाश में जुटे हैं, और मृतकों की संख्या में इजाफा होने की आशंका जताई जा रही है।
घटना की गवाह बनीं एक स्थानीय महिला ने बताया, “रात के सन्नाटे में अचानक आसमान गूंज उठा। बम गिरने की आवाज से पूरा गांव हिल गया। मेरे पड़ोसी के घर पर सीधा हमला हुआ, जहां परिवार सो रहा था।” घायलों को नजदीकी अस्पताल पहुंचाया गया है, लेकिन सीमित संसाधनों के कारण इलाज में दिक्कतें आ रही हैं।
सैन्य कार्रवाई या नागरिक हत्या?
पाकिस्तानी सेना या सरकार की ओर से इस हमले के पैमाने, लक्ष्य या गांव में किसी आतंकी की मौजूदगी को लेकर कोई जानकारी नहीं दी गई है। कुछ पाकिस्तानी सेना समर्थक सोशल मीडिया अकाउंट्स ने इसे “सेकेंडरी विस्फोट” बताया है, दावा करते हुए कि स्थानीय लोगों द्वारा रखे गए आईईडी (इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस) के कारण यह विस्फोट हुआ। हालांकि, अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों ने इस दावे को खारिज करते हुए व्यापक जांच की मांग की है।
मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल के एक प्रवक्ता ने कहा, “यह घटना संघर्ष के कानूनों का स्पष्ट उल्लंघन है। नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना सेना की जिम्मेदारी है, और किसी भी उल्लंघन के लिए जवाबदेही तय होनी चाहिए।” संयुक्त राष्ट्र ने भी पाकिस्तान से तत्काल स्पष्टीकरण मांगा है।
आतंकवाद प्रभावित क्षेत्र में बढ़ते हमले
खैबर पख्तूनख्वा अफगानिस्तान सीमा से सटा हुआ पहाड़ी इलाका है, जो आतंकवादियों के लिए छिपने की आदर्श जगह माना जाता है। 1980 के दशक में सोवियत-अफगान युद्ध और 9/11 के बाद अमेरिकी अभियान के दौरान यहां कई पुराने ठिकाने बने थे। हाल के वर्षों में जैश-ए-मोहम्मद और हिजबुल मुजाहिदीन जैसे संगठन नए कैंप स्थापित कर रहे हैं।
प्रांत की पुलिस के आंकड़ों के मुताबिक, इस साल जनवरी से अगस्त तक 605 आतंकी घटनाएं हुईं, जिनमें 138 नागरिक और 79 पुलिसकर्मी मारे गए। केवल अगस्त में ही 129 घटनाएं दर्ज की गईं, जिसमें छह पाकिस्तानी सैनिकों की हत्या भी शामिल है। पाकिस्तान सरकार ने अतीत में इस क्षेत्र में कई आतंकवाद विरोधी अभियान चलाए हैं, लेकिन इनमें नागरिक हताहतों की शिकायतें आम रही हैं।
भारत का संदर्भ: ऑपरेशन सिंदूर के बाद तनाव
यह घटना तब हुई है जब भारत ने हाल ही में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में नौ प्रमुख आतंकी ठिकानों पर हमला किया था। पाकिस्तान की इस आंतरिक कार्रवाई को भारत की कार्रवाई से जोड़कर देखा जा रहा है, हालांकि कोई सीधा लिंक साबित नहीं हुआ है। विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तानी सेना बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा जैसे क्षेत्रों में अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश कर रही है, लेकिन इससे नागरिकों को नुकसान पहुंच रहा है।
प्रतिक्रियाएं और आगे की राह
स्थानीय पश्तून समुदाय ने हमले की निंदा की है और पाकिस्तानी सरकार से मुआवजे की मांग की है। विपक्षी दल पीटीआई ने भी सेना की कार्रवाई पर सवाल उठाए हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह घटना पाकिस्तान की आंतरिक अस्थिरता को उजागर कर रही है। मानवाधिकार कार्यकर्ता आशा कर रहे हैं कि स्वतंत्र जांच से सच्चाई सामने आएगी, ताकि भविष्य में ऐसी त्रासदियां रोकी जा सकें।
पाकिस्तान की यह कार्रवाई न केवल आंतरिक सुरक्षा पर सवाल खड़ी कर रही है, बल्कि क्षेत्रीय शांति के लिए भी खतरा बन रही है।
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