प्रदूषण की चादर में ढके काठमांडू में सरकार के ख़िलाफ़ निराशा गहरी हो रही है। लोग या तो वर्तमान सरकार से नाराज़ हैं या फिर वैकल्पिक रूप से कुछ लोग राजशाही की वापसी की मांग कर रहे है
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- राजशाही बनाम लोकतंत्र:
- 2008 में नेपाल से राजशाही खत्म कर गणतंत्र की स्थापना की गई थी।
- अब कुछ लोग फिर से हिंदू राष्ट्र और राजशाही की वापसी के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं।
- लेकिन ये आंदोलन बहुत व्यापक नहीं हैं — ये सीमित क्षेत्रों तक ही सीमित हैं, और आम जनता बड़ी संख्या में राजशाही के पक्ष में नहीं है।
- लोगों की नाराज़गी का कारण:
- नेपाल में लगातार सरकारें बदलती रही हैं (17 साल में 14 सरकारें)।
- राजनीतिक अस्थिरता, भ्रष्टाचार और आर्थिक संकट ने जनता में असंतोष बढ़ा दिया है।
- लोग मानते हैं कि लोकतंत्र के वादे पूरे नहीं हुए हैं, लेकिन इसका ये मतलब नहीं कि वे राजशाही चाहते हैं।
- हिंदू राष्ट्र की पहचान:
- नेपाल पहले विश्व का एकमात्र हिंदू राष्ट्र था, पर 2015 में धर्मनिरपेक्ष संविधान अपनाया गया।
- कुछ लोग नेपाल की हिंदू राष्ट्र की पहचान वापस लाने के लिए आंदोलन कर रहे हैं, लेकिन वो भी जरूरी नहीं कि राजशाही की वापसी चाहते हों।
- नेताओं की राय:
- नेशनल असेंबली के चेयरमैन नारायण दाहाल मानते हैं कि जनता में नाराज़गी है, लेकिन राजशाही की वापसी की संभावना नहीं है।
- उनका मानना है कि आंदोलन सरकार से सुधार की मांग कर रहे हैं, न कि लोकतंत्र खत्म करने की।
- संसदीय स्थिति:
- नेपाल में 275 सांसद हैं।
- राजशाही का समर्थन करने वाली राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी के पास सिर्फ 14 सीटें हैं।
- यानी राजशाही समर्थक आवाज़ें राजनीतिक रूप से बहुत सीमित हैं।