21 गांवों को भोज कराया
Jind : जींद (Jind) के उचाना क्षेत्र में, कालीरामन खाप के उप‑प्रधान सुरेंद्र के घर 19 साल बाद पुत्रवांछित संतान के रूप में बेटी (Daughter) का जन्म हुआ। इससे पहले पाँच साल पहले उन्होंने भतीजे को गोद लिया था, लेकिन अब उनके घर “लक्ष्मी” आई है।
“बेटी-बेटे में कोई फर्क नहीं” का संदेश
परिवार ने स्पष्ट किया कि वे पुत्र या पुत्री में भेद नहीं करते। इस आत्मीयता और सामाजिक दृष्टिकोण को बढ़ावा देने के लिए उन्होंने खास आयोजन किया।
Jind : जींद: हरियाणा के जींद में एक दंपती को शादी के 19 साल बाद संतान सुख की प्राप्ति हुई। घर में बेटी के जन्म लेने पर दंपती की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। भव्य जश्न मनाया गया। डीजे बजा, कुआं पूजन भी किया गया। इसके अलावा 21 गांवों गांवों का चूल्हा न्योता दिया गया। कार्यक्रम में 24 खापों के प्रधान समेत करीब आठ हजार लोग नवजात बेटी को आशीर्वाद देने पहुंचे।
ग्रामीणों का हलवा-पूरी, दो सब्जी, चावल आदि परोसे गए। पीलिया लेकर आए बच्ची के मामा ने दिल खोलकर रुपए बिखेरे। ये जश्न हुआ गांव थुआ में। बेटी के पिता सुरेंद्र कालीरमण खाप के उपप्रधान भी हैं। उनका कहना है कि यह समाज के लिए संदेश भी है कि बेटी और बेटा बराबर होते हैं।
2006 में हुई थी शादी, 10 से ज्यादा बार झेला गर्भपात का दर्द
उचाना हलके के गांव थुआ निवासी सुरेंद्र की 9 जून 2006 को झील गांव की कृष्णा के साथ सुरेंद्र की शादी हुई। शादी के काफी समय बाद भी संतान नहीं हुई। सुरेंद्र ने बताया कि पत्नी गर्भवती होतीं, लेकिन कोख में बच्चा ग्रोथ नहीं कर पाता। दूसरे-तीसरे महीने में ही गर्भपात हो जाता।
10 से ज्यादा बार उनकी पत्नी कृष्णा को गर्भपात का दर्द झेलना पड़ा। जब उन्होंने डॉक्टर से पता किया तो पीजीआई के डॉक्टरों ने बताया कि कृष्णा का जो ब्लड ग्रुप है, उसके कारण यह दिक्कत आ रही है। इसी कारण संतान सुख प्राप्ति की संभावना कम है।
भाई का बेटा लिया गोद
सुरेंद्र ने बताया कि पीठ पीछे ताने दिए जाने लगे थे। तब उन्होंने बच्चा गोद लेने का मन बनाया। सुरेंद्र ने अपने बड़े भाई के बेटे को गोद ले लिया। एक साल पहले कृष्णा फिर से गर्भवती हुईं।
दूसरे-तीसरे महीने तक किसी तरह की दिक्कत नहीं आई। बच्चे की ग्रोथ ठीक लगी। 10 जुलाई को उन्हें संतान प्राप्ति हुई। इससे उनका खुशी का ठिकाना नहीं रहा। बेटी का नाम भूमि रखा गया। डिलीवरी नॉर्मल हुई।
थुआ तपा के सभी 21 गांवों को चूल्हा न्योता
सुरेंद्र ने बताया कि मन में इतनी खुशी थी कि जी चाह रहा तो हर किसी को पार्टी दूं। अपने भाईचारे के साथ बैठक की। जिसमें फैसला लिया कि पूरे गांव का न्योता दूंगा। हालांकि इससे भी सुरेंद्र का मन नहीं भरा, उन्होंने तपा के पदाधिकारियों के साथ बैठक कर थुआ तपा के सभी 21 गांवों को चूल्हा न्योता दे दिया।
कालीरमण खाप के उपप्रधान सुरेंद्र
थुआ गांव निवासी सुरेंद्र 100 एकड़ से ज्यादा जमीन को ठेके पर लेकर खेती करते हैं। उनके पास खुद की साढ़े चार एकड़ जमीन है। पिछले डेढ़ साल से सुरेंद्र कालीरमण खाप के उपप्रधान हैं।
जींद का पुराना नाम क्या था ?
पुराना नाम जयंतापुरी था. पौराणिक कथाओं के अनुसार, पांडवों ने जयंती देवी (विजय की देवी) के सम्मान में मंदिर बनवाया था और उनके नाम पर ही इस शहर का नाम जयंतापुरी रखा गया था, जिसे बाद में जींद कहा जाने लगा.
जींद का सबसे बड़ा गाँव कौन सा है?
जींद जिले का सबसे बड़ा कुनबा, गांव छात्तर
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