‘हमारी गर्दन पर छुरी चलेगी और हम हां में हां मिलाते रहेंगे’, JDU के नेता गुलाम गौस की नाराजगी

By digital@vaartha.com | Updated: April 4, 2025 • 9:25 AM

संसद में वक्फ बिल का समर्थन करने पर नीतीश कुमार की पार्टी में ही विरोध के स्वर उठने लगे हैं। वक्फ संशोधन बिल पर मुहर लगने के बाद जेडीयू एमएलसी गुलाम गौस ने अपनी प्रतिक्रिया दी है।

पटना वक्फ संशोधन बिल को लेकर नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू में विवाद लगातार गहराता जा रहा है। संशोधन बिल को लेकर जेडीयू दो गुट में बंटती नजर आ रही है। अब जेडीयू के एक और नेता की नाराजगी सामने आई है। एमएलसी गुलाम गौस ने कहा कि समर्थन जेडीयू ने किया होगा इसका मतलब यह नहीं है कि हमारी गर्दन पर छुरी चलेगी और हम हां में हां मिलाते रहेंगे। यह नहीं होना चाहिए था। गौस ने कहा, पहले भी हम लोगों ने यह बात रखी थी फिर रखेंगे। मैं तो राष्ट्रपति जी से अनुरोध करूंगा कि इस विधायक को वापस भेज दें। कई बार ऐसा हुआ है। देखा जाएगा क्या नुकसान होगा यह समय बताएगा।

बता दें कि संसद में वक्फ बिल का समर्थन करने पर नीतीश कुमार की पार्टी में ही विरोध के स्वर उठने लगे हैं। गुलाम गौस ने आगे कहा, ‘मेरा कातिल है मेरा मुंसिफ है फैसला मेरे हक में क्या करेगा। हमें उनसे है वफा की उम्मीद जो जानते नहीं वफा क्या है।’

‘वक्फ पर बीजेपी सरकार की गिद्ध दृष्टि’

जेडीयू नेता ने कहा, ”यह बीजेपी की सरकार कभी बाबरी दादरी, कभी लव जिहाद, कभी घर वापसी, तीन तलाक, एनआरसी, मोब लिंचिंग, 370 लेकर आती है और अब वक्फ पर उनकी गिद्ध दृष्टि लगी हुई है। मुसलमान की जमीन पर मुसलमान के विकास के लिए जो फंड आवंटन होता था उसकी राशि कम कर दी गई। मौलाना आजाद फाउंडेशन अलॉटमेंट बंद कर दिया। पसमांदा मुसलमान की बात करते हैं मैं उनसे पूछना चाहता हूं क्या आप पसमंदा मुसलमान के इतने ही हितैषी हैं तो आपने क्यों नहीं सच्चर कमेटी और रंगनाथ मिश्रा की रिपोर्ट को लागू किया। बिलकिस बानो के बलात्कारी उनके संबंधियों को महिमा मंडित क्यों किया गया। कौन सर्टिफिकेट देगा कि 5 साल से कौन हिंदू है कौन मुसलमान है। हिंदू समाज को उन्मादित करने के लिए वोट बैंक के लिए यह बनाया गया है।

‘हमारे खून के छिंटे आज भी लाल किले की दीवारों पर मौजूद’

सौगात ए मोदी को लेकर जेडीयू नेता ने कहा, ”32 लाख मुसलमानों को सौगात ए मोदी क्यों भेजा था। हमको सौगात की भीख नहीं, हमारा अधिकार चाहिए। हम भी इसी देश के नागरिक हैं। हमारे पुरखों ने जितनी कुर्बानी दी उतनी किसी ने दी है क्या? ढाई लाख से ज्यादा फांसी के फंदे पर झूल गए। हमारे खून के छिंटे आज भी लाल किले की दीवारों पर मौजूद है।


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