होली के दौरान तेल टैंकर में छिपाई गई शराब
बिहार के जमुई जिले में शराब तस्करी का एक अनोखा तरीका सामने आया, जहां तेल के टैंकर में विदेशी शराब छिपाई गई। पुलिस ने इस टैंकर से भारी मात्रा में शराब बरामद की, जिसकी कीमत करीब 14 लाख रुपये बताई जा रही है। यह शराब बंगाल से तस्करी कर लाई गई थी।
शराबबंदी के प्रभाव और इससे जुड़ी समस्याएं
शराबबंदी के बाद बिहार में तस्करी में वृद्धि
बिहार में 2016 से शराबबंदी लागू है, लेकिन इसके बावजूद अवैध शराब की बिक्री तेजी से बढ़ी है। राज्य में शराब की तस्करी के कारण कई समस्याएं उत्पन्न हुई हैं, और कई बार ये तस्करी सशक्त तरीके से की जाती है, जैसे कि तेल टैंकर में शराब छिपाकर उसे बिहार में लाना।
शराब से होने वाली वैश्विक मौतों की संख्या
WHO रिपोर्ट के अनुसार शराब से 30 लाख मौतें
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, दुनिया भर में हर साल शराब के सेवन से करीब 30 लाख लोग अपनी जान गंवा देते हैं, जो कुल मृत्यु दर का 5.3% है। भारत में भी शराब से संबंधित मौतों का आंकड़ा 2.6 लाख है, जिसमें जहरीली शराब से होने वाली मौतें भी शामिल हैं।
अवैध शराब कारोबार और सरकार को होने वाला नुकसान
भारत में अवैध शराब का कारोबार
फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (FICCI) की रिपोर्ट के मुताबिक, देश में अवैध शराब का कारोबार 23,466 करोड़ रुपये का है। इसकी तस्करी से सरकार को 15,262 करोड़ रुपये का राजस्व नुकसान हो रहा है, क्योंकि इन पर कोई टैक्स नहीं लगता।
बिहार का कदम: शराबबंदी के लिए संवैधानिक प्रयास
संविधान के अनुच्छेद 47 का पालन
भारत के संविधान के अनुच्छेद 47 में राज्य को यह निर्देशित किया गया है कि मादक पेय और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक दवाओं के सेवन पर प्रतिबंध लगाने का प्रयास किया जाएगा। बिहार ने इस अनुच्छेद का पालन करते हुए शराबबंदी लागू की है।
संविधान की सातवीं अनुसूची और शराब
शराब पर राज्य का अधिकार
संविधान की सातवीं अनुसूची के तहत, शराब राज्य का विषय है। इसका मतलब है कि शराब के उत्पादन, निर्माण, परिवहन, और बिक्री के बारे में कानून बनाने का अधिकार राज्य सरकारों के पास है। इसलिए, विभिन्न राज्यों में शराब पर अलग-अलग कानून होते हैं।
शराबबंदी का क्यों नहीं हो सका लागू पूरी तरह?
राजस्व का प्रभाव और कठिनाई
राज्य सरकारों के लिए शराब पर प्रतिबंध लगाना कठिन है, क्योंकि शराब से मिलने वाले राजस्व का बड़ा हिस्सा राज्य की आय का हिस्सा बन चुका है। उदाहरण के तौर पर, महाराष्ट्र में शराब से प्राप्त राजस्व कोविड लॉकडाउन के दौरान 11,000 करोड़ रुपये का था। इसी कारण, कई राज्य शराब पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने से बचते हैं।
शराब पर प्रतिबंध लगाने वाले राज्य
मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में शराबबंदी
मध्य प्रदेश के 17 धार्मिक शहरों में शराबबंदी लागू की गई है, जिनमें उज्जैन और महेश्वर जैसे प्रमुख शहर शामिल हैं। वहीं, उत्तर प्रदेश सरकार ने अयोध्या और मथुरा जैसे धार्मिक स्थलों में शराब की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया है।
बिहार में शराबबंदी के दौरान अवैध शराब की तस्करी
नेपाल से तस्करी की समस्या
बिहार की सीमा नेपाल से जुड़ी हुई है, और नेपाल में शराब का अवैध कारोबार होता है। बिहार के कुछ जिलों में, जैसे पश्चिम चंपारण, पूर्वी चंपारण, और सीतामढ़ी में लोग नेपाल से शराब मंगवाते हैं, खासकर जब बिहार में शराब नहीं मिलती।
बिहार में शराबबंदी के बाद के आँकड़े
8 साल में 8.5 लाख एफआईआर
बिहार में शराबबंदी के बाद से करीब 8.5 लाख एफआईआर दर्ज हुईं और 12.79 लाख लोगों को गिरफ्तार किया गया। शराबबंदी से संबंधित मामलों में 3.46 लाख लीटर शराब जब्त की गई है। साथ ही, 266 शराब माफिया गिरफ्तार किए गए हैं। इस दौरान, शराब के स्थान पर ड्रग्स का इस्तेमाल बढ़ने की भी रिपोर्ट्स आई हैं।
शराबबंदी के सकारात्मक प्रभाव
बिहार में सकारात्मक बदलाव
लैंसेट की रिपोर्ट के अनुसार, बिहार में शराबबंदी से सकारात्मक प्रभाव दिखाई दिए हैं। शराब पीने के मामलों में 24 लाख की कमी आई है, और घरेलू हिंसा में 21 लाख की कमी दर्ज की गई है। यौन हिंसा के मामलों में 3.6% और भावनात्मक हिंसा में 4.6% की कमी आई है। इसके अतिरिक्त, करीब 8 लाख लोग मोटापे से बचने में सफल हुए हैं।