मऊ के पूर्व विधायक अब्बास अंसारी को हेट स्पीच (नफरत फैलाने वाला भाषण) मामले में कोर्ट से कोई राहत नहीं मिली है। एमपी/एमएलए स्पेशल कोर्ट (MP/MLA Special Court) ने बीते शुक्रवार को उनकी सजा के खिलाफ दायर तीनों याचिकाएं खारिज कर दी हैं। इससे पहले कोर्ट ने उन्हें 2 साल की सजा सुनाई थी, जो अब भी बरकरार रहेगी। इसके चलते उनकी विधायक सदस्यता (विधायकी) भी खत्म मानी गई है।
क्या है पूरा मामला?
मिली जानकारी के मुताबिक, यह मामला साल 2022 के विधानसभा चुनाव (Assembly Election) के दौरान का है। मऊ नगर कोतवाली क्षेत्र के पहाड़पुरा मैदान में एक चुनावी जनसभा के दौरान अब्बास अंसारी ने मंच से एक विवादित बयान दिया था। उन्होंने भाषण में कहा था कि अगर उनकी सरकार बनी, तो अधिकारियों के तबादलों और पोस्टिंग पर रोक लगाई जाएगी, ताकि पहले उन अधिकारियों से “हिसाब-किताब” लिया जा सके। इस बयान के बाद यह मामला गंभीर हो गया और इसे हेट स्पीच यानी नफरत फैलाने वाला भाषण माना गया।
कैसे हुई FIR और कानूनी कार्रवाई?
भाषण के बाद तत्कालीन एसआई गंगाराम बिंद ने मऊ नगर कोतवाली में एफआईआर (FIR) दर्ज करवाई, जिसमें अब्बास अंसारी समेत कुछ अन्य लोगों को आरोपी बनाया गया। पुलिस ने इसे चुनाव आचार संहिता और कानून-व्यवस्था के खिलाफ बताया।
कोर्ट में क्या हुआ?
अब्बास अंसारी को पहले ही इस मामले में 2 साल की सजा सुनाई जा चुकी थी। उन्होंने इसके खिलाफ 3 याचिकाएं दायर कर राहत की मांग की थी, लेकिन एमपी/एमएलए कोर्ट ने तीनों याचिकाएं खारिज कर दीं। इसका मतलब है कि उनकी सजा बरकरार रहेगी।
अब क्या हुआ उनकी विधायकी का?
भारत के जनप्रतिनिधित्व कानून (Representation of the People Act) के अनुसार, अगर किसी विधायक को 2 साल या उससे ज्यादा की सजा हो, तो उसकी विधायकी स्वतः समाप्त हो जाती है। इस कानून के अनुसार अब अब्बास अंसारी अब विधायक नहीं माने जाएंगे।
क्यों है यह मामला राजनीतिक रूप से अहम?
अब्बास अंसारी माफिया से नेता बने मुख्तार अंसारी के बेटे हैं और राजनीतिक हलकों में लगातार चर्चा में रहते हैं। इस फैसले को उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक बड़ा मोड़ माना जा रहा है। प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार, अब उनकी भविष्य की राजनीति पूरी तरह अदालती फैसलों पर निर्भर करेगी।
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