एनसीपीएसपी MP फौजिया खान के मुताबिक केंद्र वक्फ बोर्ड का संरक्षक बनने के बजाय मालिक बन बैठी है. क्या बोर्ड में नॉन कम्युनिटी मेंबर लाने से उसका इम्पावरमेंट होगा?
लोकसभा में 2 अप्रैल को वक्फ संशोधन विधेयक 2025 और मुसलमान वक्फ (निरसन) विधेयक 2025 पास होने के बाद 3 अप्रैल को राज्यसभा से भी चर्चा के बाद पास हो गया. राज्यसभा में इस पर चर्चा के दौरान एनसीपी शरद चंद्र पवार गुट की सांसद फौजिया खान ने केंद्र सरकार और बीजेपी की नीयत पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा कि यह संशोधन विधेयक अल्पसंख्यकों के साथ अन्याय है. ऐसे में सवाल यह उठता है कि शरद पवार की एनसीपीएसपी बिल पास होने के बाद क्या करेगी?
राज्यसभा में पारित विधेयक पर एनसीपीएसपी सांसद फौजिया खान ने कहा, “किसानों के बिल की तरह ही इस बिल को भी बुलडोजर से कुचल दिया गया है. हम इस बिल के खिलाफ विरोध जारी रखेंगे. हमारे पूर्वजों ने धार्मिक उद्देश्यों के लिए जमीन दान की है. वक्फ बोर्ड एक धार्मिक संस्था है. यह बिल असंवैधानिक है और इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जाएगी और रद्द किया जाएगा.”
केंद्र की नीयत पर सवाल
एनसीपीएसपी सांसद फौजिया खान ने कहा, “अगर सरकार की मंशा वक्फ बोर्ड को सशक्त और मजबूत करने की होती तो वो इस संस्था की स्वायत्ता को कम किए बगैर अपना संरक्षण देती. इसके मुसीबतों को कम करने के लिए अनुदान देती, लेकिन सरकार तो खुद की वक्फ की संपत्तियों पर अतिक्रमण करने वाली एजेंसी के रूप में उभरकर सामने आई है..”
‘केंद्र के दावों में नहीं है दम’
एनसीपीएसपी की राज्यसभा सांसद फौजिया खान ने कहा, .”इस बिल को लेकर सरकार की ओर यह दावा किया जा रहा है कि संशोधन के पीछे मकसद वक्फ बोर्ड की व्यवस्था में सुधार करना है. उसे सशक्त बनाने और विकसित करने की है. यह सब ऊपर तौर पर तो सही लग रहा है, लेकिन वैसा है नहीं, जैसे कि आप दावा कर रहे हैं..”
फौजिया खान ने राज्यसभा में कहा कि मैं महाराष्ट्र सरकार में मंत्री रह चुकी हूं. वक्फ बोर्ड में बतौर मेंबर चार साल से काम कर रही हूं. अपने अनुभव के आधार पर मैं यह मानती हूं कि वक्फ बोर्ड में सुधार की आवश्यकता है. इस दिशा में 4 साल से प्रयासरत भी हूं.
ये है बोर्ड की 3 सबसे बड़ी चुनौतियां
फौजिया खान ने आगे बताया, ‘वक्त बोर्ड के सामने तीन सबसे बड़ी चुनौतियां या प्रश्न हैं. पहला, वक्त की संपत्ति पर सबसे ज्यादा अतिक्रमण हो रहा है. दूसरा वक्फ में भ्रष्टाचार बड़े पैमाने पर है. तीसरा वक्फ की आड़ में बड़े पैमाने पर उसकी संपत्तियों पर गैर कानूनी कब्जा जारी है.’
एनसीपीएसपी नेता फौजिया खान के मुताबिक, .”इनसे पार पाने के लिए बोर्ड को सरकार की सहायता की आवश्यकता है. यहीं पर बात आती है, नीयत की. अगर सरकार की नीयत सही होती तो वक्फ संशोधन बिल के प्रावधानों में बोर्ड को सशक्त बनाने की बातें शामिल होतीं. सरकार बोर्ड को अपना संरक्षण देने का काम करती. बोर्ड के तीन अहम सवाल अतिक्रमण, भ्रष्टाचार और गैर कानूनी कब्जे को हटाने की बात करती..”
उन्होंने कहा कि सरकार ऐसे लोगों को दंडित करने के लिए सख्त कानून लेकर आती. अफसोस की बात है कि बिल में ऐसा कुछ नहीं. इसके उलट, पहले बोर्ड के लोग जिसे सीरियस क्राइम मानते थे, केंद्र सरकार ने संशोधित बिल में उसे जमानती बना दिया है.
‘स्वयत्तता छीने बिना बोर्ड को मजबूत करने की जरूरत’
उन्होंने कहा, “वक्फ बोर्ड की जमीन पर सबसे ज्यादा अतिक्रमण तो राज्य सरकार कर रही हैं. सरकार ने मुतवल्लियों को मिलने वाला शेयर 7 से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया है. वक्फ बोर्ड के पास अपना कोई इनकम का जरिया नहीं है. ऐसे में बोर्ड को सरकार से संगठनात्मक सहयोग की जरूरत है. बोर्ड की स्वयत्तता को छीने बिना आप उसको बेहतर बनाने की कोशिश करते.”
एनसीपीएसपी सांसद फौजिया खान ने आगे कहा, “केंद्र सरकार सहयोगी बनती. वो वक्फ का मालिक बनने की कोशिश नहीं करती. उन्होंने बीजेपी सरकार से पूछा कि क्या बोर्ड में नॉन कम्युनिटी मेंबर लाने से बोर्ड का इम्पावरमेंट होगा?”
सबसे बड़ा इनक्रोचर तो सरकार स्वयं है- फौजिया खान
केंद्र सरकार कहना कि बोर्ड धार्मिक संस्था ही नहीं है. बोर्ड की गतिविधियों और व्यवस्था धार्मिक नहीं है. इस तरह की सोच तो गजब है. यह बोर्ड की व्यवस्था में सुधार नहीं, अपने आप में अतिक्रमण है. यह अल्पसंख्यकों के संवैधानिक अधिकारों का अतिक्रमण है. आज ऐसा मुसलमानों के साथ हो रहा है, कल इसाई, बुद्धिष्ट व अन्यों के साथ होगा.
उन्होंने ये भी कहा, “बोर्ड की संपत्तियों पर सबसे बड़ा इनक्रोचर तो सरकार स्वयं है. यह मैं, नहीं कहती बल्कि सच्चर कमेटी रिपोर्ट अनुसार इस मामले में सबसे बड़ा इनक्रोचर स्टेट गवर्नमेंट स्वयं है. वक्फ संशोधन बिल में उसी को सुधार लाने का अधिकार दे दिया गया. क्या इससे धार्मिक संस्था वक्फ बोर्ड मजबूत होंगी? क्या यह अन्याय नहीं है? यह बोर्ड की व्यवस्था में सुधार नहीं बल्कि इनक्रोचमेंट है. यह अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर हमला है, जो अन्याय है.”