न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक घोटाला: ईओडब्ल्यू ने किए नए खुलासे, फरार दंपत्ति की संपत्तियों की खुली पोल

By digital@vaartha.com | Updated: March 13, 2025 • 5:51 AM

ईओडब्ल्यू के अनुसार, न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक में हुए 122 करोड़ घोटाले में वांटेड हिरेन और गौरी भानु ने 2019-24 में करोड़ों की संपत्ति खरीदी, जिसकी जब्ती की जा सकती है।

मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक में हुए 122 करोड़ रुपये के घोटाले की जांच में एक बड़े खुलासे तक पहुंची है। जांच में पता चला है कि इस मामले में वांटेड पूर्व अध्यक्ष हिरेन भानु और उनकी पत्नी गौरी भानु ने 2019 से 2024 के बीच कई महंगी संपत्तियां खरीदी हैं।

संपत्तियों की जब्ती के लिए नए कानूनी प्रावधानों की तलाश

ईओडब्ल्यू इस घोटाले में बीएनएसएस (भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता) की धारा 107 (संपत्ति की कुर्की, जब्ती या बहाली) को जोड़ने पर विचार कर रही है, ताकि पुलिस संपत्तियों को जब्त कर सके। फिलहाल, इस केस में महाराष्ट्र प्रोटेक्शन ऑफ इंटरेस्ट ऑफ डिपॉजिटर्स (एमपीआईडी) अधिनियम लागू नहीं किया जा सकता, इसलिए ईओडब्ल्यू नए कानूनी रास्ते तलाश रही है।

देश छोड़कर भागने से पहले करोड़ों की संपत्ति खरीदी

सूत्रों के अनुसार, जांच में यह भी सामने आया कि बैंक घोटाले का खुलासा होने से कुछ ही दिन पहले हिरेन भानु और गौरी भानु मुंबई और आसपास के इलाकों में करीब 10-12 करोड़ रुपये की संपत्तियां खरीद चुके थे।

अब तक चार गिरफ्तारियां, मुख्य आरोपी फरार

इस मामले में अब तक चार लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है। इनमें न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक के पूर्व सीईओ अभिमन्यु भोआन, एसआरए डेवलपर धर्मेश पौन, और फरार आरोपी उन्नावन अरुणाचलम का बेटा मनोहर अरुणाचलम शामिल हैं। भानु दंपति भी इस केस में मुख्य आरोपी हैं, लेकिन एफआईआर दर्ज होने से कुछ दिन पहले ही वे देश छोड़कर भाग गए।

ईओडब्ल्यू को मिली जानकारी के अनुसार, हिरेन भानु अबू धाबी में छिपा हुआ है। उसने भारतीय नागरिकता छोड़कर ब्रिटिश नागरिकता ले ली है। वहीं, गौरी भानु एफआईआर दर्ज होने के दो दिन पहले ही थाईलैंड भाग गई थी। ईओडब्ल्यू ने दोनों के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर (एलओसी) जारी कर दिया है। इसके बाद ब्लू कॉर्नर नोटिस भी जारी किया गया है। यदि आरोपी भारत वापस नहीं लौटते हैं, तो चार्जशीट दाखिल होने के बाद उनके खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया जाएगा।

वहीं ईओडब्ल्यू ने मंगलवार (11 मार्च) को एक और मुख्य आरोपी हितेश मेहता का पॉलीग्राफ टेस्ट करवाया जिसकी रिपोर्ट तीन से चार दिन में आ सकती है। इस हाई-प्रोफाइल घोटाले में पुलिस आगे की जांच में जुटी हुई है और जल्द ही कुछ और बड़े खुलासे होने की संभावना है।

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