ढाई बजे उठाया आत्मघाती कदम
आदिलाबाद। थलामदुगु मंडल के कुचुलापुर गाँव में रविवार रात एक 47 वर्षीय किसान ने कथित तौर पर आत्महत्या (suicide) कर ली। वह फसल बर्बाद होने से आर्थिक तंगी (financial crisis) से परेशान था। इस घटना के साथ ही, पिछले आठ महीनों में जिले में 10 किसानों ने आत्महत्या की है। पुलिस ने बताया कि मुक्केरा संतोष ने तड़के करीब ढाई बजे यह आत्मघाती कदम उठाया, क्योंकि वह पाँच एकड़ में विभिन्न फसलों की खेती से बढ़ते कर्ज से जूझ नहीं पा रहा था । प्रतिकूल मौसम के कारण कपास की फसल बर्बाद होने से उसे भारी नुकसान हुआ था।
थाने में दर्ज कराई शिकायत
उनके बेटे साई कुमार ने थाने में शिकायत दर्ज कराई है। मामला दर्ज कर लिया गया है और जाँच जारी है। 3 जून को, उत्नूर मंडल के शंबुगुडा गाँव में एक और किसान सेदमेका पुलाजी राम (45) ने आत्महत्या कर ली । कथित तौर पर वह असहनीय कर्ज और पारिवारिक जिम्मेदारियों के बोझ तले दबा हुआ था। इससे पहले, 1 दिसंबर से 30 अप्रैल के बीच, जिले में आठ और किसानों ने कथित तौर पर ऋण चुकाने में असमर्थ होने के कारण सुसाइड कर ली थी, जिससे क्षेत्र में कृषि संकट की भयावहता का पता चलता है।

आत्महत्या की परिभाषा क्या है?
यह वह क्रिया है जिसमें कोई व्यक्ति जानबूझकर अपने जीवन का अंत कर लेता है। यह मानसिक तनाव, अवसाद, सामाजिक दबाव या गंभीर परिस्थितियों के कारण हो सकता है। यह एक संवेदनशील सामाजिक और मनोवैज्ञानिक मुद्दा है।
भारत में आत्महत्या कानून क्या है?
देश में आत्महत्या का प्रयास पहले आपराधिक अपराध था, लेकिन 2017 के मानसिक स्वास्थ्य अधिनियम के अनुसार, मानसिक तनाव में आत्महत्या का प्रयास करने वाले को अपराधी नहीं माना जाता। अब उन्हें चिकित्सा और परामर्श सहायता दी जाती है।
आत्महत्या का सिद्धांत किसने दिया था?
इसका समाजशास्त्रीय सिद्धांत प्रसिद्ध फ्रांसीसी समाजशास्त्री एमिल डुर्कहीम ने दिया था। उन्होंने आत्महत्या को सामाजिक कारणों से जोड़ते हुए इसके चार प्रकार बताए—एगोइस्टिक, एल्ट्रुइस्टिक, एनोमिक और फैटलिस्टिक आत्महत्या।
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