Telangana: दो साल के एकांतवास के बाद केसीआर पुराने रंग में लौटे

By digital@vaartha.com | Updated: April 29, 2025 • 2:48 PM

पहली रैली से दे गए संदेश ‘टाइगर अभी जिंदा’ है?

तेलंगाना के पूर्व मुख्यमंत्री और बीआरएस के प्रमुख केसीआर एक बार फिर से फुलफॉर्म में नजर आ रहे हैं। केसीआर बीआरएस के रजत जयंती पर जनसभा को संबोधित करते नजर आए।

तेलंगाना के पूर्व मुख्यमंत्री और बीआरएस के प्रमुख केसीआर एक बार फिर से फुलफॉर्म में नजर आ रहे हैं। 2023 में सत्ता से बेदखल होने के बाद केसीआर नेपथ्य चल रहे हैं और दो साल के बाद अपनी पार्टी बीआरएस के रजत जयंती पर जनसभा को संबोधित करते नजर आए। केसीआर ने रेवंत रेड्डी के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस हर पहलू में विफल रही है। उन्होंने पानी, बिजली, रायथु बंधु, बेरोजगारी, महिला और हैदराबाद विश्वविद्यालय की जमीन बेचने का मुद्दा उठाया। कांग्रेस की रेवंत रेड्डी सरकार के कामकाज पर सवाल खड़े करने के साथ ही पार्टी की सिल्वर जुबली के मौके पर यह संदेश दे दिया है कि ‘टाइगर अभी जिंदा’ है और कमबैक करने के लिए तैयार है?

कांग्रेस के खिलाफ केसीआर आक्रामक


तेलंगाना में सत्ता बदलने के बाद से केसीआर ने खामोशी अख्तियार कर ली थी, जिसे लेकर तमाम तरह के कयास लगाए जा रहे थे। कांग्रेस सरकार को मौका देने से बीआरएस जोड़कर देख रही है। दो साल के बाद कांग्रेस को घेरने के लिए उतरे हैं। बीआरएस सुप्रीमो ने अपने भाषण में कहा कि वह पार्टी की गतिविधियों में पहले से अधिक शामिल होंगे, जिससे अटकलें लगाई जा रही हैं कि वह चुनावी राजनीति से पीछे हट सकते हैं। पूर्व सीएम के बेटे केटीआर ने कहा कि केसीआर के यह कहने पर तालियों की गड़गड़ाहट देखी कि हम 2028 में सत्ता में लौटेंगे? वह हमारे नेता और मार्गदर्शक रहे हैं और ऐसा करना जारी रखेंगे। वह 2028 में सीएम होंगे, इसमें कोई संदेह नहीं है। केटीआर ने कहा कि केसीआर अब लोगों के बीच जाएंगे और तेलंगाना के हर मुद्दे पर खड़े नजर आएंगे।

केसीआर ने कांग्रेस सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए ‘तेलंगाना का दुश्मन नंबर 1’ बताया। बीआरएस द्वारा सत्ताधारी रेवंत सरकार को उखाड़ फेंकने के प्रयास के बारे में अटकलों को खारिज करते हुए केसीआर ने कहा कि पार्टी का कार्यकाल समाप्त होने से पहले रेवंत रेड्डी के नेतृत्व वाली सरकार को गिराने का कोई इरादा नहीं है। उन्होंने कहा कि तेलंगाना के लोगों को हमारी पार्टी और वर्तमान सरकार द्वारा किए गए कामों को देखने और उनकी तुलना करने दें। सक्रिय राजनीति से दूर रहने पर कहा कि वह कांग्रेस सरकार को समय देना चाहते हैं और देखना चाहते हैं कि वे अपने चुनावी वादों को कैसे पूरा करते हैं। उन्होंने कहा कि काफी समय दिया जा चुका है और अब सवाल पूछने और जवाबदेही लेने का समय आ गया है। बीआरएस सड़क पर उतरकर कांग्रेस सरकार की पोल खोलने का काम करेगी।

हिंदुत्व का एजेंडा सेट करने का प्लान


केसीआर ने कहा कि तेलंगाना आंदोलन शुरू करने के लिए उन्हें भगवान राम के शब्दों, ‘जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी (मां और मातृभूमि स्वर्ग से भी अधिक महत्वपूर्ण हैं)’ से प्रेरणा मिली। इस तरह केसीआर की यह हिंदुत्व के एजेंडे पर आगे बढ़ने की स्ट्रैटेजी मानी जा रही है। हालांकि, केसीआर पहले ही कह चुके हैं कि वह हिंदू हैं, लेकिन घर पर। बीआरएस नेता ने कहा, पार्टी के सिद्धांत के अनुसार हम धर्म का इस्तेमाल नहीं करते और सभी का सम्मान करते हैं।

भगवान श्रीराम के इर्द-गिर्द घूमते हुए अपने हिंदुत्व एजेंडे को आगे बढ़ाते हुए केसीआर द्वारा हिंदू देवता का संदर्भ हिंदू वोट आधार से जुड़ने के प्रयास के रूप में भी देखा जा रहा है, जो 2023 के विधानसभा चुनावों के साथ-साथ पिछले साल के लोकसभा चुनावों में बीजेपी के पीछे लामबंद हुआ था। यही वजह है कि केसीआर अब हिंदू वोटों पर अपनी पकड़ बनाए रखने की कवायद में है।

किसानों को केसीआर ने दिया संदेश

आदिवासियों को साधने का प्लान


छत्तीसगढ़-तेलंगाना सीमा पर नक्सलियों का सफाया करने के उद्देश्य से केंद्र के ‘ऑपरेशन कगार’ पर केसीआर ने सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि आपके (केंद्र) पास सेना और ताकत हो सकती है, लेकिन नक्सलियों के खिलाफ हत्याओं का सिलसिला लोकतंत्र में नहीं चल सकता। केंद्र को नक्सलियों से बातचीत करनी चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि ऑपरेशन में आदिवासी युवा अपनी जान गंवा रहे हैं। एक लोकतांत्रिक माहौल बनाएं और उन्हें बातचीत के लिए आमंत्रित करें। लोगों को सुनने दें कि उन्हें क्या कहना है। उन्होंने आगे घोषणा की कि बीआरएस एक प्रस्ताव पारित करके केंद्र को भेजेगा, जिसमें ऑपरेशन कगार को तत्काल समाप्त करने का आग्रह किया जाएगा।

केसीआर की तरफ से नक्सलियों और आदिवासी युवाओं का संदर्भ ऐसे समय में दिया जा रहा है, जब कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि बीआरएस और बीजेपी एक दूसरे से मिले हुए हैं। केसीआर ने केंद्र की मोदी सरकार को निशाने पर लेकर बीजेपी से दूरी बनाने का संकेत दिया तो दूसरी तरफ इसे 10 फीसदी आदिवासी समुदाय के वोट जोड़ने के प्रयास के तौर पर देखा जा रहा है। आदिवासी आबादी ज़्यादातर उत्तरी तेलंगाना के आदिलाबाद और कोमाराम भीम आसिफाबाद जैसे जिलों में पाई जाती है।

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