भारत ने पहलगाम आतंकी हमले के बाद सिंधु जल संधि सस्पेंड कर दी है और पाकिस्तान के साथ व्यापार रोक दिया है. इससे पाकिस्तान में दवाओं की कमी और सिंधु नदी के सूखने का खतरा बढ़ गया है. पाकिस्तान के ड्रग रेगुलेटरी अथॉरिटी ने इमरजेंसी प्लानिंग शुरू कर दी है।
नई दिल्ली. पिछले हफ्ते पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 लोगों की मौत के बाद भारत ने बड़ा कदम उठाया है. भारत ने 1960 में वर्ल्ड बैंक की मध्यस्थता में हुए सिंधु जल संधि को सस्पेंड कर दिया है. इसके साथ ही भारत ने पाकिस्तान के साथ सभी तरह के व्यापार को रोकने और फार्मा सप्लाई बंद करने का भी ऐलान कर दिया है. इस फैसले ने पाकिस्तान में हड़कंप मचा दिया है. भारत द्वारा अटारी-वाघा बॉर्डर को बंद कर देने से दोनों देशों के बीच हर साल होने वाला लगभग ₹3,886 करोड़ का कारोबार ठप हो गया है. इससे न केवल आर्थिक मोर्चे पर झटका लगा है, बल्कि रोजमर्रा के जीवन पर भी बड़ा असर पड़ने लगा है।
भारत से पाकिस्तान को अभी तक लगभग 30% से 40% फार्मा रॉ मटेरियल — खासकर API यानी Active Pharmaceutical Ingredients — मिलता था. अब DRAP चीन, रूस और यूरोपीय देशों से विकल्प तलाशने में जुटा है. DRAP के एक वरिष्ठ अधिकारी ने मीडिया से कहा, “2019 के संकट के बाद से हमने वैकल्पिक रास्तों पर काम शुरू कर दिया था, लेकिन अब उसे तेजी से लागू करना पड़ रहा है।
सिंधु का सूखता पानी और किसानों की चिंता
पानी का संकट भी पाकिस्तान में गहराने लगा है. सिंधु नदी के किनारे लतीफाबाद इलाके में अपने खेतों पर खड़े किसान होमला ठाकुर की आवाज में चिंता साफ झलकती है. तेज धूप के बीच, जब नदी का जलस्तर लगातार गिर रहा है, होमला कहते हैं, “अगर भारत ने पानी रोक दिया, तो हमारा सब कुछ रेगिस्तान बन जाएगा. हम भूख से मर जाएंगे.” होमला जैसे किसान, जिनकी आजीविका सिंधु के पानी पर टिकी है, अब हर रोज़ इस डर के साथ खेतों में काम कर रहे हैं कि कल शायद पानी भरने के लिए नदी में कुछ भी न बचे. सिंधु नदी तिब्बत से निकलकर भारत के रास्ते पाकिस्तान में प्रवेश करती है और अरब सागर में मिलती है, ऐसे में भारत के फैसले का सीधा असर पाकिस्तान की खेती पर पड़ सकता है।
सिर्फ किसान ही नहीं, एक्सपर्ट्स भी चिंतित
कम बारिश और बदलते मौसम के बीच, सिंधु पर निर्भरता बढ़ती जा रही थी. अब जब भारत ने साफ कर दिया है कि पाकिस्तान को आतंकवाद के समर्थन से “विश्वसनीय और अपरिवर्तनीय” तरीके से तौबा करनी होगी, तभी समझौते को बहाल किया जाएगा, तो संकट और गहरा हो गया है. भारत के इस फैसले ने पाकिस्तान के सामने एक दोहरा संकट खड़ा कर दिया है — एक तरफ दवाओं की भारी कमी का खतरा और दूसरी ओर खेती-किसानी के लिए जीवनरेखा मानी जाने वाली सिंधु नदी के सूखने का डर. आने वाले दिनों में अगर पाकिस्तान ठोस कदम नहीं उठाता, तो यह संकट और गंभीर हो सकता है।