तमिलनाडु राजनीति में एक बड़ा राजनीतिक घटनाक्रम सामने आया है। बीजेपी ने दो साल बाद एक बार फिर AIADMK से समझौता कर लिया है। इसके चटपट बाद राज्य बीजेपी अध्यक्ष अन्नामलाई ने अपना पद छोड़ दिया और उनकी स्थान नयनार नागेंद्रन को नया प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया गया है।
अन्नामलाई को पद छोड़ने की जरूरत क्यों पड़ी?
अन्नामलाई और AIADMK प्रमुख ई. पलानीस्वामी के बीच लंबे समय से संघर्ष चल रहा था। लोकसभा चुनाव 2024 के प्रचार अभियान के दौरान दोनों नेताओं के बीच तीखी बयानबाज़ी हुई।
पलानीस्वामी ने अन्नामलाई को “प्रचार का भूखा” कहा था। ऐसे में समझौता को पक्का और प्रभावी बनाने के लिए अन्नामलाई का पद तजना जरूरी समझा गया।
तमिलनाडु राजनीति में समझौता के लिए बीजेपी की रणनीति
बीजेपी को 2026 के विधानसभा निर्वाचन में AIADMK के साथ एकजुट होकर निर्वाचन लड़ना है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने साफ कर दिया है कि निर्वाचन पलानीस्वामी के नेतृत्व में लड़ा जाएगा। ऐसे में अन्नामलाई जैसे तेजतर्रार नेता का पद पर बने रहना समझौता की राह में रुकावट बन सकता था।
अन्नामलाई को किनारे कर आगे की रणनीति
पार्टी ने अन्नामलाई को चुपचाप किनारे कर दिखा दिया है कि पार्टी में अनुशासन सर्वोपरि है। हालांकि अमित शाह ने यह भी कहा कि अन्नामलाई को शीघ्र ही राष्ट्रीय राजनीति में अहम भूमिका दी जाएगी। इससे यह सूचना मिलता है कि अन्नामलाई की राजनीति खत्म नहीं हुई है, बल्कि वह अब बड़े कैनवास पर नज़र आएंगे।
तमिलनाडु राजनीति: समुदाय आधारित समीकरण भी वजह?
अन्नामलाई और पलानीस्वामी दोनों ही गौंडर समुदाय से आते हैं। यदि दोनों साथ रहते तो समझौता पर एक ही समुदाय के प्रभाव का आरोप लगता। यही कारण है कि अन्नामलाई को हटाकर बीजेपी ने समतोल साधने की कोशिश की है।
निष्कर्ष
तमिलनाडु की राजनीति में यह परिवर्तन केवल मुखाकृति का नहीं, रणनीति का भी संकेत है। बीजेपी ने दिखा दिया है कि वो राज्य में बड़ा लक्ष्य लेकर चल रही है, और इसके लिए अगर अगुआई में भी परिवर्तन करना पड़े, तो वो पीछे नहीं हटेगी।