संशोधन बिल प्रस्ताव को लेकर संसद में सत्ता पक्ष और विरोध के बीच टकराव तेज हो गया है। सरकार जहां इस हिसाब-किताब को पास कराने की कोशिश में जुटी है, वहीं विरोध इसे रोकने के लिए रणनीति बना रहा है।
एआईएमआईएम ने इस प्रस्ताव के खिलाफ देशव्यापी आंदोलन की खतरा दी है। पार्टी के दिल्ली अध्यक्ष डॉ. शोएब जामई ने सोशल मीडिया पर लिखा कि “अगर कारावास हिसाब-किताब जबरन थोपने की कोशिश की गई, तो दिल्ली से इसका विरोध शुरू होगा। हम अपने लोकतांत्रिक अधिकारों का उपयोग करेंगे और अल्पसंख्यकों के कानूनी अधिकारों पर हमला बर्दाश्त नहीं करेंगे।”
लोकसभा में आज इस हिसाब-किताब पर चर्चा होगी, जिसके लिए दोनों सदनों में आठ-आठ घंटे का समय आवंटित किया गया है। वहीं, एनडीए के घटक दल – तेलुगु देशम पार्टी (TDP), जनता दल यूनाइटेड (JDU), शिवसेना और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) ने अपने प्रतिनिधि को व्हिप जारी कर सरकार के समर्थन में वोट देने को कहा है।
एआईएमआईएम: निषेध सुधारना प्रस्ताव पर सरकार और विपक्ष आमने-सामने
निषेध सुधारना प्रस्ताव को लेकर प्रतिनिधि में जोरदार बहस जारी है। केंद्रीय अल्पसंख्यक और संसद का कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा है कि सरकार विरोध के हर तर्क का जवाब देने के लिए पूरी तरह मुस्तैद है।
कल लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला की अध्यक्षता में हुई कार्य मंत्रणा समिति (बीएसी) की बैठक में इस प्रस्ताव पर आठ घंटे की बहस तय हुई थी, जिसे जरूरत पड़ने पर बढ़ाया जा सकता है। लेकिन बैठक में ही विरोध गठबंधन ‘INDIA’ के सदस्यों ने वॉकआउट कर दिया और सरकार पर उनकी आवाज दबाने का इलज़ाम लगाया।
हालांकि, लोकसभा में एनडीए का संख्याबल मजबूत है, जिससे अधिपत्र के पारित होने की साध्य अधिक है। लोकसभा में कुल 542 सदस्यों में से 293 सांसद एनडीए के हैं।
एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने इसे ‘असंवैधानिक’ विधेयक बताते हुए कहा कि यह मुस्लिम के धार्मिक अधिकारों पर प्रबंध का प्रयास है।
पिछले साल यह अधिपत्र संसद में पेश किए जाने के बाद मिलकर समिति को भेजा गया था, जिसने कुछ अनुशंसा दी थीं। अब सरकार ने उन अनुशंसा को शामिल कर संशोधित प्रस्ताव लाने का फैसला किया है। विपक्ष ने प्रस्ताव पर 12 घंटे चर्चा की मांग की थी, लेकिन सरकार का कहना है कि अन्य व्यवस्थापक कार्यों को देखते हुए समय सीमित रखा जाए।