समाजवादी पार्टी ने पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल तीन विधायकों को निष्कासित किया।
यह कदम अखिलेश Akhilesh यादव द्वारा पार्टी अनुशासन को बनाए रखने की दिशा में बड़ा संकेत माना जा रहा है।
सपा प्रमुख अखिलेश (Akhilesh) यादव ने 3 बागी विधायकों को पार्टी से निष्कासित कर दिया। इसमें अयोध्या की गोसाईगंज सीट से विधायक (vidhaayak) अभय सिंह, अमेठी की गौरीगंज सीट से विधायक राकेश सिंह और रायबरेली की ऊंचाहार सीट से विधायक मनोज पांडेय शामिल हैं।
यह तीनों ही लंबे समय से सपा के खिलाफ काम कर रहे थे। पहले ये उम्मीद की जा रही थी कि सपा इन विधायकों के खिलाफ विधानसभा में सदस्यता खत्म करने की अपील करेगी। लेकिन सपा ने ऐसा नहीं किया। सपा के इस फैसले से फिलहाल इनकी विधायकी कायम रहेगी और सदन में इनकी स्थिति असंबद्ध विधायक के तौर पर होगी। यानी ये न तो सपा के पाले में बैठेंगे और न भाजपा के पाले में।
राज्यसभा चुनाव में 7 विधायकों ने की थी क्रॉस वोटिंग
क्रॉस वोटिंग करने वाले विधायकों में अभय सिंह, राकेश प्रताप सिंह, मनोज पांडेय, पूजा पाल, विनोद चतुर्वेदी, आशुतोष मौर्य और राकेश पांडेय शामिल थे। अभय सिंह और मनोज पांडेय ने बाद में भाजपा की सदस्यता भी ग्रहण कर ली थी।
इस बगावत के बाद सपा नेतृत्व ने इन विधायकों के खिलाफ कार्रवाई की चेतावनी दी थी, और अब यह निष्कासन उसी दिशा में उठाया कदम है। हालांकि, अभी 4 विधायक और हैं, जिनके खिलाफ सपा ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है। इसमें सबसे अहम नाम पूजा पाल का है।
मनोज पांडेय: मैं 17 महीने पहले ही सपा छोड़कर भाजपा जॉइन कर चुका हूं। यह काम मैंने कोई चोरी छिपे नहीं किया था बल्कि पीएम मोदी की रैली में सार्वजनिक मंच पर किया था। अब सपा का यह कहना कि पार्टी से निष्कासित कर दिया है, ये हास्यास्पद है।
राकेश सिंह: मैं राष्ट्र और राम के साथ हूं। हम इनका विरोध करने वालों के साथ कैसे हो सकते हैं? सपा को 17 महीने पहले ही छोड़ चुके हैं। अब क्यों निष्कासित किया, इसका जवाब सपा से लेना चाहिए।
अभय सिंह: इस मामले में मैं कुछ नहीं कहना चाहता हूं।
अयोध्या की गोसाईगंज से विधायक अभय सिंह 2012 में पहली बार सपा के टिकट पर विधायक बने। 2017 के चुनाव में उन्हें खब्बू तिवारी ने चुनाव हरा दिया। 2022 में उन्होंने दूसरी बार सपा के टिकट पर यह सीट जीती। इस तरह वह लगभग 12 साल (2012-2024) तक सपा के साथ रहे। पूर्वांचल में बाहुबली नेता के रूप में उनकी पहचान रही।
मुख्तार अंसारी
वह पहले मुख्तार अंसारी के करीबी थे, लेकिन बाद में रघुराज प्रताप सिंह राजा भैया के साथ उनके रिश्ते मजबूत हुए। फरवरी 2024 में हुए राज्यसभा चुनाव में इन्होंने सपा के खिलाफ बिगुल फूंक दिया था और भाजपा के प्रत्याशी के पक्ष में क्रास वोटिंग की थी।
गौरीगंज अमेठी से विधायक राकेश प्रताप सिंह 2012 से सपा के साथ थे। 2017 व 2022 में सपा के टिकट पर विधायक चुने गए। यह लगातार तीसरी बार 2022 में विधायक बने। फरवरी 2024 में इन्होंने भी राज्यसभा चुनाव में बगावत की और भाजपा के प्रत्याशी के पक्ष में मतदान किया।
राकेश सिंह की गिनती एक जुझारू नेता के रूप में होती है। पिछले साल वह अपने कार्यकर्ता के पक्ष में थाने पहुंच गए थे। बीते दिनों इन्होंने दिल्ली में गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी।
मनोज कुमार पांडेय: 4 बार सपा से विधायकी का चुनाव जीता
रायबरेली की ऊंचाहार सीट से चार बार के विधायक मनोज पांडेय 2007 से सपा के साथ थे। वह 2007, 2012, 2017 और 2022 में सपा के टिकट पर जीते। इस तरह वह करीब 17 साल (2007-2024) तक सपा के साथ रहे। वह सपा के विधानसभा में मुख्य सचेतक भी रहे। मनोज पांडेय एक वक्त सपा का बड़ा ब्राह्मण चेहरा हुआ करता था।
मनोज पांडेय ने 2024 के राज्यसभा चुनाव में सपा से बगावत की और भाजपा के खेमे में जाकर खड़े हो गए। 2024 के चुनाव में वे रायबरेली में सपा-कांग्रेस गठबंधन के खिलाफ भाजपा के मंचों पर खुले तौर पर जाते रहे और राहुल गांधी के खिलाफ प्रचार किया।
सपा प्रवक्ता बोले- 4 बागियों की पार्टी में वापसी संभव
सपा के प्रवक्ता उदयवीर बताते हैं- जिन तीन विधायकों के खिलाफ कार्रवाई की गई। वे सपा के खिलाफ खुलकर बोल रहे थे। भाजपा के मंचाें पर जाने से गुरेज नहीं कर रहे थे। बाकी 4 अन्य पूजा पाल, आशुतोष मौर्य, विनोद चतुर्वेदी और राकेश पांडेय ने अपनी-अपनी मजबूरियां जताई थीं। उन्हें अभी मौका दिया गया है। भविष्य में इनकी पार्टी में वापसी भी संभव है।
कार्रवाई के पीछे देरी के लिए उन्होंने कहा- इन 3 विधायकों को पर्याप्त मौका दिया गया, लेकिन सुधार नहीं हुआ, इसलिए कार्रवाई की गई।