सुरक्षित और पोषणयुक्त भोजन के महत्व के प्रति जागरूक होना जरूरी
दूध, पनीर, दाल, घी और मसाले खाद्य सामग्री के अहम अंग हैं। दूध, पनीर, दाल को सेहत के लिए बेहतर माना जाता है। इनमें मिलावट मिल रही है। इनके नकली-मिलावटी होने से लोगों में मधुमेह, हृदय रोग, कोलेस्ट्रॉल, पेट रोग की बीमारी तेजी से बढ़ रही हैं। बच्चों का शारीरिक-मानसिक विकास भी प्रभावित हो रहा है। 7 जून को विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस है। सुरक्षित और पोषणयुक्त भोजन के महत्व के प्रति जागरूक होना जरूरी है। खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन ने मार्च, 2024 से अप्रैल, 2025 तक विभिन्न खाद्य सामग्री के 1180 नमूने जांच के लिए भेजे। इनमें से 734 की रिपोर्ट आ गई है। 455 नमूने फेल मिले हैं। दूध, खोआ, घी, पनीर समेत 114 सामग्री नकली पाई गई है।
मिलावट सेहत के लिए असुरक्षित
पाम ऑयल, एसेंस से घी, डिटरजेंट-रिफाइंड समेत अन्य तत्वों से सिंथेटिक दूध-पनीर बना दिया गया। स्टार्च से खोआ बनाया गया। जांच में ये लोगों की सेहत के लिए असुरक्षित बताया गया है। नमकीन, सरसों का तेल, रिफाइंड समेत अन्य सामग्री घटिया मिलीं, जो खाने योग्य नहीं थीं। सहायक आयुक्त खाद्य शशांक त्रिपाठी ने बताया कि विक्रेताओं के खिलाफ केस दर्ज कराया गया है। 4.88 करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाया है।
दूध, घी, पनीर समेत कई खाद्य सामग्री में मिलावट और नकली होने पर इनके स्वाद में अंतर
मर्ज को ठीक करने वाली दवाएं भी नकली मिल रही हैं। बीते दिनों औषधि विभाग की जांच में 43 दवाएं नकली मिली हैं। इनमें कफ सिरप, बुखार-खांसी, मधुमेह, हृदय रोग समेत अन्य मर्ज की हैं। विभाग के छापे में बिचपुरी, जगदीशपुरा क्षेत्र में नकली दवाएं बनाने की फैक्टरी भी पकड़ी गई। सहायक आयुक्त औषधि अतुल उपाध्याय का कहना है कि नकली दवा के मामले में केस दर्ज कराया, आरोपी जेल में हैं। मुख्य खाद्य सुरक्षा अधिकारी राजेश गुप्ता ने कहा कि दूध, घी, पनीर समेत कई खाद्य सामग्री में मिलावट और नकली होने पर इनके स्वाद में अंतर आता है।
संदेह होने पर विभाग के टोल फ्री नंबर 18001805533 पर करें शिकायत
संदेह होने पर विभाग के टोल फ्री नंबर 18001805533 पर शिकायत कर सकते हैं। डिप्टी सीएमओ डॉ. नंदन सिंह का कहना है कि दूध, घी, पनीर, दाल, मसाले अहम खाद्य सामग्री हैं। ये मिलावटी-नकली होने से किडनी-लिवर पर सीधे प्रभाव पड़ता है। लंबे समय तक उपयोग से मधुमेह, कोलेस्ट्रॉल, हृदय रोग का खतरा कई गुना है। इसके मरीज भी तेजी से बढ़ रहे हैं। बच्चे कुपोषित भी हो सकते हैं।