Allahabad High Court judge: इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा पर गंभीर आरोपों के बाद अब उनके विरुद्ध महाभियोग की कार्रवाई की बातचीत जोरों पर है। यह कदम अगर उठाया गया, तो यह इलाहाबाद हाईकोर्ट के 1948 के इतिहास में पहली बार होगा, जब किसी न्यायाधीश को इस प्रक्रिया से हटाया जाएगा।
कैसे फंसे जस्टिस वर्मा?
मुद्दा मार्च 2025 का है, जब दिल्ली में उनके आवास पर आग लगने के बाद दमकल विभाग ने कमरे से भारी मात्रा में नकदी बरामद की। इसी वारदात के बाद यशवंत वर्मा पर भ्रष्टाचार और काले धन के गंभीर इलज़ाम लगे।
ट्रांसफर और न्यायिक कार्य से रोक
Allahabad High Court judge: इस घटना के तुरंत बाद सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट को निर्देश दिया कि वर्मा को कोई न्यायिक कार्य न सौंपा जाए। इसके बाद उनका तबादला इलाहाबाद हाईकोर्ट कर दिया गया, लेकिन वहां भी उन्हें जजमेंट देने से रोका गया।

बार एसोसिएशन का विरोध
इलाहाबाद हाईकोर्ट पहुंचने से पहले ही वहां की बार एसोसिएशन ने उनके खिलाफ खुला विरोध दर्ज कराया। अध्यक्ष अनिल तिवारी ने सुप्रीम कोर्ट की आलोचना करते हुए कहा था कि वह “पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट” जैसा व्यवहार कर रही है।
क्या हुआ जांच में?
फैक्ट फाइंडिंग कमेटी की रिपोर्ट
मार्च-अप्रैल 2025 में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व CJI संजीव खन्ना की अगुवाई में गठित तीन जजों की कमेटी ने जांच की। 45 मिनट तक स्थल निरीक्षण, दिल्ली पुलिस और दमकल विभाग की रिपोर्टों की समीक्षा के बाद मई 2025 में रिपोर्ट राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को भेजी गई।
प्रतिवेदन में जस्टिस वर्मा के विरुद्ध लगे इलज़ाम सही पाए गए।
केंद्र सरकार की तैयारी
अब सूत्रों के मुताबिक केंद्र सरकार मानसून सत्र में जस्टिस वर्मा के विरुद्ध महाभियोग प्रस्ताव ला सकती है। यदि यह प्रस्ताव पास हुआ तो यह ऐतिहासिक कार्रवाई होगी।
भारत में महाभियोग के पूर्व मामले
देश में अब तक पांच न्यायाधीशों के विरुद्ध महाभियोग की कार्रवाई या मांग की जा चुकी है। इनमें वी. रामास्वामी, सौमित्र सेन, एसके गंगेले, सीवी नागार्जुन रेड्डी और सीजेआई दीपक मिश्रा जैसे नाम सम्मिलित हैं।
हालांकि इनमें से अधिकांश में प्रस्ताव या तो गिरा या आगे की प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी।