एशिया के दिग्गज कारोबारी और सबसे अमीर शख्स मुकेश अंबानी ने अपनी बिजनेस जर्नी में कई बड़े दांव खेले हैं. लेकिन अब उन्होंने जो दांव खेला है, वो अब तक का सबसे बड़ा, सबसे महत्वाकांक्षी और सबसे जोखिम भरा है. मुकेश ने अपनी जिंदगी के सबसे बड़े रिस्क के बारे में बात करते हुए बताया कि Jio उनकी जिंदगी का सबसे बड़ा रिस्क भरा इंवेस्टमेंट रहा है ये उनकी ताकत, सपना और दौलत सब कुछ है. तो आइए जानते हैं सबसे बड़ी रिस्की की स्टोरी…
जब साल 2016 में Jio ने भारत के टेलीकॉम सेक्टर में कदम रखा था, तो मोबाइल डेटा को लेकर जो क्रांति आई, उसने न सिर्फ देश में इंटरनेट को सस्ता बनाया, बल्कि पूरी इंडस्ट्री का चेहरा ही बदल दिया. कई पुरानी टेलीकॉम कंपनियां बंद हो गईं या विलय में चली गईं, और Jio देखते ही देखते सबसे बड़ी टेलीकॉम कंपनी बन गई. लेकिन अंबानी (Ambani) की नजर सिर्फ मोबाइल नेटवर्क तक सीमित नहीं थी।
Jio अब सिर्फ मोबाइल कंपनी नहीं, एक डिजिटल साम्राज्य है
आज Jio एक संपूर्ण डिजिटल इकोसिस्टम बन चुका है. इसमें 5G नेटवर्क, क्लाउड कंप्यूटिंग, स्ट्रीमिंग (JioCinema), डिजिटल पेमेंट्स, एआई (Jio AI), ई-कॉमर्स (JioMart), एजुकेशन, हेल्थटेक और एंटरप्राइज टेक्नोलॉजी शामिल हैं. मुकेश अंबानी का विजन साफ है: रिलायंस को एक टेक-ड्रिवन, डिजिटल फ्यूचर कंपनी बनाना जो सिर्फ भारत में नहीं, बल्कि ग्लोबल स्टेज पर भी मुकाबला कर सके और इस विजन का सेंटर-पॉइंट है Jio. अंबानी जिस बिजनेस में कदम रखते हैं, वह आमवहां आमतौर पर क्रांति आ जाती है. रिलायंस, पेट्रोलियम, पेट्रोकेमिकल्स, रिटेल, और दूरसंचार जैसे क्षेत्रों में एक प्रमुख खिलाड़ी है।
लेकिन हर बड़ा सपना, बड़े रिस्क के साथ आता है
इकोनॉमिक्स टाइम्स की रिपोर्ट्स के मुताबिक, अब तक Jio में अरबों डॉलर का निवेश हो चुका है. नेटवर्क इंफ्रास्ट्रक्चर, 5G रोलआउट, डिजिटल सर्विसेज और रिसर्च एंड डेवलपमेंट हर फ्रंट पर कंपनी आक्रामक खर्च कर रही है. इसके बदले कंपनी ने टैरिफ को जानबूझकर कम रखा ताकि यूज़र्स की संख्या में विस्फोट हो. यह रणनीति यूज़र बेस बढ़ाने में तो सफल रही, लेकिन लाभप्रदता (Profitability) अभी भी एक चुनौती बनी हुई है।
Jio के लिए एक और चुनौती है तेज़ी से बदलती टेक्नोलॉजी और प्रतियोगिता. Google, Amazon, Meta और भारत की तेजी से उभरती स्टार्टअप इंडस्ट्री भी अब उसी मैदान में उतर रही है जहां Jio खेलना चाहता है।
क्यों Jio है अंबानी की सबसे बड़ी रिस्क?
Jio आज रिलायंस की ग्रोथ का मुख्य इंजन बन चुका है. ऑयल एंड गैस, पेट्रोकेमिकल्स, और रिटेल के बाद अब कंपनी की भावी योजनाएं टेक्नोलॉजी और डिजिटल सर्विसेस पर केंद्रित हैं. ऐसे में अगर Jio किसी वजह से फेल होता है चाहे वो टेक्नोलॉजी में पिछड़ने से हो, रेगुलेटरी अड़चनों से या किसी ग्लोबल कंपनी से हारने से तो इसका सीधा असर रिलायंस इंडस्ट्रीज के पूरे बिजनेस स्ट्रक्चर पर पड़ सकता है।
जीत या हार ये सिर्फ बिजनेस की बात नहीं
अगर Jio सफल होता है, तो यह भारत की पहली ऐसी कंपनी बन सकती है जो Google, Amazon और Alibaba जैसे ग्लोबल डिजिटल जायंट्स को टक्कर दे सके. लेकिन अगर यह दांव उलटा पड़ता है, तो यह न सिर्फ एक आर्थिक झटका होगा, बल्कि भारत के डिजिटल भविष्य को लेकर अंबानी की सोच पर भी सवाल खड़े करेगा।
अब Jio ही है रिलायंस की कहानी का भविष्य
साफ है मुकेश अंबानी का सपना अब सिर्फ एक अरबपति होने का नहीं, बल्कि भारत को एक डिजिटल सुपरपावर बनाने का है. Jio उस सपने की नींव है, लेकिन नींव को संभालना आसान नहीं. उन्होंने अपने साम्राज्य की रफ्तार, रणनीति और रिसोर्सेस अब Jio पर केंद्रित कर दिए हैं।