अमेरिका-ईरान न्यूक्लियर डील: 2018 में डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका को ईरान के साथ हुई न्यूक्लियर सौदा से अलग कर दिया था। अब एक नई सौदा की संभावना है, जिसमें ईरान को यूरेनियम संवर्धन रोकने के बदले अमेरिका की अवरोध से राहत दी जा सकती है।
अमेरिका-ईरान न्यूक्लियर डील: इंडिया की दिलचस्पी क्यों है?
इंडिया के लिए यह डील रणनीतिक रूप से अहम है। चाबहार बंदरगाह प्रकल्प, जो पाकिस्तान को बाह्यमार्ग कर सेंट्रल एशिया तक कामकाज का रास्ता देता है,अमेरिका की अवरोध की वजह से प्रभावित हुआ था। डील के बाद इस पर फिर से शीघ्रता से कार्य हो सकेगा।

तेल आयात और व्यापार में लाभ
ईरान इंडिया के लिए कम कीमत तेल प्राप्त कराता था। प्रतिबंध हटने के बाद इंडिया फिर से वहां से तेल क्रय सकता है, जिससे ताकत लागत कम होगी।
NSTC के ज़रिए यूरोप तक आसान व्यापार
चाबहार बंदरगाह इंटरनेशनल नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर से जुड़कर इंडिया को रूस और यूरोप तक पहुंचने में सहायता करेगा