वाशिंगटन। अमेरिका एक बार फिर दुनिया को दिखाना चाहता है कि आसमान में उसका कोई मुकाबला नहीं। इसी मकसद से वह एक ऐसा लड़ाकू विमान तैयार कर रहा है जो तकनीक, ताकत और स्पीड में अब तक के सभी विमानों को पीछे छोड़ देगा। इस विमान का नाम है एफ-47, जिसे अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नाम पर रखा गया है। अमेरिकी वायुसेना के चीफ जनरल डेविड ऑलविन ने इसे दुनिया का सबसे खतरनाक और अगली पीढ़ी का सुपरफाइटर बताया है। दावा किया जा रहा है कि यह चीन जैसे देशों के लड़ाकू विमानों को हवा में ही चकनाचूर कर देगा।
- तकनीक, ताकत और स्पीड में अब तक के सभी विमानों को पीछे छोड़ देगा
- इस विमान का नाम है एफ-47, जिसे अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नाम पर रखा गया है
- एफ -22 बनाने वाली कंपनी लॉकहीड मार्टिन को पीछे छोड़ चुकी है
ऑपरेशनल रोल 2025 से 2029 के बीच शुरू होने की उम्मीद है
इसका ऑपरेशनल रोल 2025 से 2029 के बीच शुरू होने की उम्मीद है। जनरल ऑलविन ने बताया कि अमेरिकी वायुसेना ने एफ-47 के कम से कम 185 विमानों का ऑर्डर दिया है। यह संख्या एफ -22 रैप्टर की कुल संख्या के बराबर है जो अब तक अमेरिका का सबसे एडवांस फाइटर माना जाता था। इस प्रोजेक्ट की जिम्मेदारी बोइंग कंपनी को दी गई है जो एफ -22 बनाने वाली कंपनी लॉकहीड मार्टिन को पीछे छोड़ चुकी है। जानकारों का कहना है कि इस सौदे से बोइंग को आने वाले दशकों तक अरबों डॉलर के ऑर्डर मिलने की संभावना है
यह स्टील्थ तकनीक से लैस है और लगभग अदृश्य रहेगा
एफ -47 सिर्फ एक अकेला विमान नहीं होगा बल्कि यह ड्रोन विंगमैन स्क्वाड के साथ उड़ान भरेगा। इस स्क्वाड में शामिल होंगे जनरल एटॉमिक्स और एन्दुरिल इंडस्ट्रीज द्वारा डिजाइन किए गए अत्याधुनिक AI आधारित रोबोटिक ड्रोन। मार्च में ओवल ऑफिस में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान ट्रंप ने खुद इस प्रोजेक्ट का ऐलान किया था। उन्होंने कहा था, एफ -47 अब तक का सबसे एडवांस, सबसे सक्षम और सबसे घातक विमान होगा। यह स्टील्थ तकनीक से लैस है और लगभग अदृश्य रहेगा। इसकी ताकत अद्वितीय होगी।
प्रोजेक्ट की कुल लागत 20 अरब डॉलर से ज्यादा हो सकती है
ट्रंप ने यह भी कहा कि विमान का नाम उनके 47वें राष्ट्रपति बनने के कारण एफ -47 रखा गया है लेकिन यह कोई आत्मप्रचार नहीं है बल्कि जनरलों की योजना का हिस्सा है। एक रिपोर्ट के अनुसार इस प्रोजेक्ट की कुल लागत 20 अरब डॉलर से ज्यादा हो सकती है। अमेरिका अपनी हवाई शक्ति को अगले स्तर पर ले जाने के लिए हर संभव संसाधन झोंक रहा है।
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